पांच राज्यों के चुनाव निपट जाने के बाद और अभी आम चुनाव में पर्याप्त समय होने की वजह से केंद्र सरकार आगामी बजट में कल्याणकारी योजनाओं के लिए ज्यादा धन उपलब्ध नहीं कर पाएगी। यूपीए सरकार के महत्वाकांक्षी खाद्य सुरक्षा विधेयक के लिए टोकन धन का इंतजाम होगा। सरकार का फोकस बुरी स्थिति से गुजर रही अर्थव्यवस्था को सुधारने पर रहेगा। सरकार 10 हजार करोड़ रुपए बैंकों को और अंतिम सांसे गिन रही एयर इंडिया को पांच हजार करोड़ रुपए देगी। वर्ष 2012-13 के बजट में योजनागत बजट के लिए करीब 5.21 लाख करोड़ रुपए होगा, जो पिछले साल के मुकाबले करीब 18.3 फीसद ज्यादा होगा। संसद का बजट सत्र 12 मार्च से शुरू होगा। 2012-13 का बजट 16 मार्च को पेश किया जाएगा। बजट की तैयारियां जोरों पर है। बजट पेश करते वक्त उत्तर प्रदेश समेत पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों के परिणाम आ चुके होंगे। लोकसभा चुनाव में अभी दो साल का वक्त है। इसलिए सरकार के पास इस साल खुलकर बैटिंग करने का मौका है। इसका फायदा वित्त मंत्री प्रवण मुखर्जी उठाएंगे। महंगाई और आर्थिक मंदी के कारण बुरे दौर से गुजर रही अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाना बड़ी चुनौती है। आर्थिक विकास 9 प्रतिशत से गिर कर 7.5 फीसद पर आ गई है। महंगाई कम होने का नाम नही ले रही है। ऊंचे व्याज दर के कारण औद्योगिक और निर्माण क्षेत्र बुरी तरह प्रभावित हैं। इस लिहाज से इस बार के बजट में लोकलुभावन योजनाओं की झड़ी नहीं होगी, जो योजनाएं चल रही है उनको बहुत बढ़ाकर धन नहीं दिया जाएगा। खास बात है कि केंद्रीय योजनाओं की संख्या को 147 से घटाकर 50 के आसपास किया जा रहा है। इस कारण भी सरकार का कुछ खर्चा बचेगा। वित्त मंत्रालय सूत्रों के अनुसार इस बार सरकार बैंकों को 10 हजार करोड़ रुपए अतिरिक्त दे सकती है, ताकि बैंक बाजार में धन उड़ेल सके और अर्थव्यवस्था में गति आ सके। एयर इंडिया की बुरी हालत को देखते हुए बजट में इसे उबारने के लिए 5,000 करोड़ दिए जा सकते हैं। फ्लैगशिप योजनाओं को 15 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी मिल सकती है। जबकि महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार योजना को ज्यादा हिस्सा मिलेगा, इसका आकलन किया जा रहा है। ग्रामीण विकास मंत्रालय की बाकी योजनाओं को केवल एक हजार करोड़ ही ज्यादा मिलेगा। ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन में हुए घपले को देखते हुए इस मद में ज्यादा वृद्धि नहीं की जाएगी। वित्त वर्ष 2011-12 में राजकोषीय घाटा 4.6 प्रतिशत के बजटीय लक्ष्य से अधिक होने का अनुमान है। आयोग ने सभी मंत्रालयों से कहा था कि वे दो योजना परिव्यय प्रस्ताव पेश करें, जिनमें एक केवल अगले वित्त वर्ष के लिए जबकि दूसरा 12वीं पंचवर्षीय योजना के लिए हो। यह योजना एक अप्रैल 2012 से शुरू होगी। सरकार ने 2011-12 में आयोजना योजनाओं के लिए सकल बजटीय समर्थन के रूप में 4,41,547 करोड़ रुपये उपलब्ध कराए थे।
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