ठ्ठ जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली धीमी पड़ रही अर्थव्यवस्था में जान फूंकने के लिए
प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने अपनी मंत्रिपरिषद को तीन सूत्रीय नुस्खा सुझाया है।
प्रधानमंत्री का मानना है कि बुनियादी ढांचे, निर्यात और राजकोषीय संतुलन पर जोर देकर अर्थव्यवस्था की रफ्तार को
बढ़ाया जा सकता है। प्रधानमंत्री ने खासतौर पर इन तीनों क्षेत्रों से जुड़े अपने
मंत्रियों को प्रयास तेज करने की सलाह दी। अपनी पूरी मंत्रिपरिषद के साथ बैठक में
प्रधानमंत्री का पूरा जोर अर्थव्यवस्था में सुधार पर रहा। सूत्र बताते हैं कि बैठक
के बाद अनौपचारिक चर्चा में भी प्रधानमंत्री ने आर्थिक विभागों से जुड़े अपने
मंत्रियों को फैसलों की रफ्तार बढ़ाने की सलाह दी। उन्होंने खासतौर पर देश की
ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने के लिए बिजली की मांग और सप्लाई में अंतर को कम करने
पर जोर दिया। सूत्रों ने बताया कि ऊर्जा मंत्रालय की स्वतंत्र प्रभार के तौर पर
जिम्मेदारी संभालने वाले ज्योतिरादित्य सिंधिया को प्रधानमंत्री ने इसके लिए खास
हिदायत दी। पीएम ने बैठक के प्रारंभ में ही बताया कि देश मुश्किल आर्थिक हालात से
गुजर रहा है और इस परिदृश्य को बदलने के लिए सरकार को फोकस होकर काम करना होगा।
इसके लिए उन्होंने न सिर्फ वित्त मंत्री से राजकोषीय संतुलन को बनाने और वित्तीय
घाटा कम करने के उपाय करने को कहा, बल्कि इस लक्ष्य को पाने के
लिए वाणिज्य, उद्योग व कपड़ा मंत्री आनंद
शर्मा से निर्यात बढ़ाने के उपाय तलाशने को भी कहा। हालांकि प्रधानमंत्री का पूरा
जोर बुनियादी ढांचे के विकास पर रहा और उन्होंने कहा भी कि इसके लिए सरकार ने 12वीं योजना में एक खरब डालर का निवेश जुटाने का लक्ष्य रखा है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि निर्यात लगातार गिर रहा है और राजकोषीय घाटा बढ़ता जा रहा
है। चालू वित्त वर्ष में सरकार ने राजकोषीय घाटे के लिए सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी)
के 5.1 प्रतिशत का लक्ष्य तय किया
था, लेकिन पहली छमाही खत्म होते
होते यह लक्ष्य 5.3 प्रतिशत पर पहुंच गया है।
प्रधानमंत्री चाहते हैं कि अब इस घाटे में और इजाफा न हो। हालांकि उन्होंने कहा कि
भारत की संभावनाओं को लेकर बहुत अधिक नकारात्मक होने की आवश्यकता नहीं हैं, फिर भी हमें इन चुनौतियों से पार पाने के अपने प्रयासों की रफ्तार को
दोगुना करना होगा।
Dainik jagran
National Edition -2-11-2012 अर्थव्यवस्था Page -3
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