प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह जी-20 के मंच से दुनिया को बता रहे थे कि भारत सब्सिडी में कटौती का कड़ा फैसला लेकर आर्थिक स्थिति में सुधार करेगा। इसके उलट वित्त मंत्री और राष्ट्रपति पद के प्रबल दावेदार प्रणब मुखर्जी 11 हजार करोड़ से अधिक की अतिरिक्त खाद्य सब्सिडी वाले प्रस्ताव पर मुहर लगा रहे थे। यह फैसला प्रधानमंत्री के दावे के कुछ देर बाद ही खाद्य मामलों पर गठित मंत्रियों के अधिकारप्राप्त समूह की बैठक में मंगलवार को लिया गया। मुखर्जी की अध्यक्षता वाले मंत्रिसमूह की इस बैठक में खाद्य प्रबंधन के नाम पर राशन प्रणाली में 60 लाख टन अतिरिक्त अनाज वितरित करने का प्रस्ताव था। इसे मंजूर कर लिया गया। इसमें 50 लाख टन अनाज गरीबी रेखा से नीचे वाले (बीपीएल) परिवारों को और 10 लाख टन अनाज गरीबी रेखा से ऊपर वालों यानी एपीएल को दिया जाएगा। अनाज का यह आवंटन पहले से मिल रहे अनाज के अतिरिक्त होगा। सरकार के इस तोहफेसे खजाने पर कुल 9,850 करोड़ रुपये का बोझ पड़ेगा। इजीओएम ने आटा चक्की, फ्लोर मिलों और बड़े उपभोक्ता उद्योगों के लिए भी सब्सिडी देकर रियायती गेहूं बेचने का फैसला किया है। खुले बाजार बिक्री योजना (ओएमएसएस) के तहत कुल 30 लाख टन अनाज बेचा जाएगा। इसकी बिक्री के लिए 1170 रुपये प्रति क्विंटल का मूल्य तय किया गया है। यह मौजूदा न्यूनतम समर्थन मूल्य 1285 रुपये प्रति क्विंटल से भी कम है। इस मूल्य पर गेहूं सितंबर, 2012 तक उपलब्ध रहेगा। इसके बाद खरीद करने वालों को 1285 रुपये के मूल्य बेचा जाएगा। इतना ही नहीं देश के किसी भी हिस्से में गेहूं का यही मूल्य रहेगा। गेहूं की ढुलाई का खर्च सरकार सब्सिडी से चुकाएगी। इससे लगभग 1,000 करोड़ रुपये की सब्सिडी का बोझ बढे़गा। सरकार ने आम बजट में खाद्य सब्सिडी के लिए 75 हजार करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है। 11 हजार करोड़ रुपये की यह खाद्य सब्सिडी अतिरिक्त होगी।
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