ठ्ठ जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली सरकार का अर्थव्यवस्था की सुस्ती दूर करने के लिए ब्याज दरों में कटौती करने का दबाव तो दूसरी तरफ जिद्दी महंगाई। रिजर्व बैंक (आरबीआइ) के गवर्नर डी सुब्बाराव इन दोनों के बीच तालमेल बनाने की कोशिश में सस्ते कर्ज की सिर्फ उम्मीद जगाकर रह गए। उन्होंने रेपो रेट यथावत रखकर ब्याज दरों को सीधे तौर पर घटाने के कोई संकेत नहीं दिए, लेकिन बाजार में नकदी का प्रवाह बढ़ाने का इंतजाम जरूर कर दिया। इसके तहत उन्होंने बैंकों के लिए नकद आरक्षित अनुपात में 0.25 फीसद की कटौती का एलान किया है। इससे बैंकों के पास कर्ज बांटने को 17 हजार करोड़ की अतिरिक्त राशि उपलब्ध होगी। केंद्र के साथ ही उद्योग जगत और निवेशकों को भी रेपो दर (जिस दर पर आरबीआइ बैंकों को कम अवधि के कर्ज देता है) में कटौती का इतंजार था। केंद्रीय बैंक ने उसे आठ फीसद के पूर्वस्तर पर बनाए रखा है, अगर इसमें कटौती होती तो होम, ऑटो लोन वगैरह पर ब्याज दरों में तुरंत कमी का रास्ता खुल जाता, लेकिन गवर्नर ने महंगाई की स्थिति को अभी चुनौतीपूर्ण मानते हुए सोमवार को मौद्रिक नीति की मध्य-तिमाही समीक्षा में सिर्फ सीआरआर को 4.75 से 4.50 फीसद किया है। सीआरआर में कमी से बैंकों के पास नकदी की उपलब्धता बढ़ती है। कई बैंकों ने संकेत दिए हैं कि रेपो दर में कटौती नहीं होने के बावजूद सीआरआर में कमी से सहूलियत होगी। इससे ब्याज दरों में मामूली कमी की भी संभावना बनती है। स्टेट बैंक, बैंक ऑफ बड़ौदा, ओरियंटल बैंक ऑफ कॉमर्स सहित कुछ बैंकों ने कहा है कि ब्याज दरों पर वे शीघ्र ही फैसला करेंगे। माना जा रहा है कि आगामी त्योहारी मौसम के मद्देनजर बैंक होम लोन की दरों में 0.25 फीसद की कटौती कर सकते हैं। (संबंधित खबर पेज-11 पर)
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