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11 वीं
योजना में एक भी लक्ष्य को प्राप्त नहीं किया जा सकता सब्सिडी
का बोझ
2.5 प्रतिशत
और राजकोषीय घाटा 7.5 प्रतिशत के रिकार्ड स्तर पर
रोशन/एसएनबी नई दिल्ली। रसोई गैस और
डीजल पर सब्सिडी का बोझ कम करने के
बाद प्रधानमंत्री ने देश के नाम अपने संबोधन में
अर्थव्यवस्था की जो स्थिति
बताई है, 12वीं योजना के प्रारूप में योजना आयोग ने उससे भी कहीं भयावह स्थिति
बताई है। आयोग की मानें तो केंद्र और राज्य सरकारों का राजकोषीय घाटा
7.54 प्रतिशत
तक पंहुच गया है, सब्सिडी
का बोझ 2.5 प्रतिशत
पर पंहुच गया
है। इन कारणों से 11वीं
पंचवर्षीय योजना में रखे लक्ष्यों को प्राप्त नहीं किया जा सकता। 12वीं योजना 2012-17) को तैयार करने के
लिए योजना आयोग ने
11 वीं
पंचवर्षीय योजना (2007-2012) की
विस्तार से समीक्षा की है। 15 सितम्बर को हुई योजना आयोग की पूर्ण बैठक में ही बीती पांच
साला योजना की समीक्षा
के बाद ही सरकार ने साधारण डीजल की कीमत में 5
रुपये, प्रीमियम
डीजल की कीमत में 16
रुपये और प्रीमियम पेट्रोल की कीमत में 6 रुपये की बढोत्तरी की। साधारण डीजल की कीमत
बढाने से देश में हल्ला हो गया लेकिन
प्रीमियम डीजल की कीमत को लेकर हो हल्ला नहीं मचा, इसकी वजह थी कि प्रीमियम का
उपयोग पैसे वाले लोग करते हैं। उसके बाद ही प्रधानमंत्री ने देश को संबोधित
करते हुए कहा था कि देश की आर्थिक स्थिति 1991
जैसी पंहुच गयी है।
लेकिन योजना आयोग ने 11वीं योजना की जो समीक्षा की है वह काफी निराश करने वाली
है। केंद्र सरकार की सब्सडी का बजट जो 11
वीं योजना के चार सालों तक 2
प्रतिशत तक पंहुच गया था वह पांचवें वर्ष 2011-12 का सब्सडी का बिल
बढक र 2.6 प्रतिशत
तक पंहुच गया है। पिछले पांच सालों में सब्सडी 8
लाख 57 हजार करोड़
रुपये दिये गए हैं। इसी तरह राजकोषीय घाटा पिछले पांच सालों में 17 लाख 78 हजार करोड़ रुपये
पंहचु गया है। राज्यों का राजकोषीय घाटा 7
लाख 57 हजार
करोड़ रुपये को भी जोड़ दिया जाए तो यह बढकर 25
लाख 35 हजार
करोड़ रुपये
तक पंहुच गया जो किसी भी अर्थव्यवस्था के लिए बहुत ही खतरनाक है। वैसे
सरकार कहती रही है कि राजकोषीय घाटा 4
प्रतिशत के आसपास है लेकिन योजना आयोग के कागजात बता रहे हैं कि
केंद्र का घाटा 5.29 प्रतिशत
और राज्यों
को 2.25 प्रतिशत
है। जो धन देश के विकास पर लगना चाहिए उससे वोट बैंक की राजनीतिक में बहाने के लिए
ढांचागत विकास के लक्ष्य पूरे नहीं हो
पाए हैं। 11 वीं योजना में सड़क निर्माण का लक्ष्य 48, 479 किलोमीटर तय किया
था लेकिन अभी तक 17, 571 किलोमीटर
सड़क ही बन पाई, 13, 981 किलोमीटर सड़के
बनायी जा रही है जकि 16927 किलोमीटर
सड़कों के काम अभी अवार्ड ही
नहीं हुआ है। प्रधानंमत्री डा. मनमोहन सिंह का फोकस बिजली
उत्पादन पर था। उन्होंने
लक्ष्य रखा था कि पांच साल में 78,700
मेगावाट बिजली उत्पादन की जाएगी लेकिन अब तक 55000 मेगावाट बिजली ही
बन सकी। कोयले का उत्पादन का
लक्ष्य 680 मिलियन टन रखा गया था हासिल हुआ 540 मिलियन टन। कच्चे
तेल का उत्पादन
प्रतिवर्ष 206.73 मिलियिन
टन करना था और प्राप्त हुआ 177.09 मिलियन
टन। गैस का उत्पदान प्रतिवर्ष 255 बिलियन ब्यूबिक
मीटर करने का लक्ष्य था
जो प्राप्त हुआ 212
बिलियन क्यूबिक मीटर ही हुआ।
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राष्ट्रीय सहारा दिल्ली संस्करण पेज 9,
26-9-2012 अर्थव्यवस्था
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