Thursday, September 8, 2011

साठ फीसदी तक महंगे होंगे घर


रियल एस्टेट कंपनियों की आस टूटती नजर रही है। भूमि अधिग्रहण विधेयक के जिस प्रारूप को कैबिनेट ने मंजूरी दी है उसे तो उद्योग जगत स्वीकार कर रहा है और ही रियल एस्टेट कंपनियां। रियल एस्टेट कंपनियों ने तो कहा है कि इससे एनसीआर में आवासीय इकाइयों की कीमतों में 60 फीसदी तक की वृद्धि होगी जिससे मध्यम वर्ग के लिए घर खरीदना मुश्किल हो जाएगा। रियल एस्टेट कंपनियों के शीर्ष संगठन क्रेडाई के एनसीआर क्षेत्र के अध्यक्ष पंकज बजाज का कहना है कि अब दिल्ली, लखनऊ और लुधियाना जैसे शहर विकसित करना नामुमकिन होगा। उद्योग जगत को उम्मीद थी कि बहुफसली जमीन के अधिग्रहण को मंजूरी दी जाएगी। सरकार ने इस बारे में नियम में थोड़ी रियायत तो दी है, लेकिन उद्योग जगत का कहना है कि यह नाकाफी है। खास तौर पर उत्तर भारत के इलाकों में तो सुनियोजित तरीके से शहर बसाना नामुमकिन हो जाएगा। क्योंकि यहां की सभी जमीनें बहुफसली हैं। उद्योग जगत का कहना है कि पांच फीसदी में तो सिर्फ सड़क वगैरह बनाने का ही काम हो सकेगा। आवासीय कालोनियों का विकास तो नहीं हो सकेगा। क्रेडाई का यह भी कहना है कि इससे छोटे स्तर पर जमीन की बिक्री बढ़ेगी, जिससे बेतरतीब तरीके के शहरों का विकास होगा।


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