रिटेल सेक्टर में विदेशी निवेश के आने से हमारी पूरी अर्थव्यवस्था को तामाम लाभ मिलेंगे। खुदरा कारोबार के अंदर इस कदम से आपसी प्रतिस्पद्र्धा बढ़ेगी। लाखों नई नौकरियां आएंगी, लेकिन जो सबसे अहम बदलाव होगा वह है उत्पादों के थोक मूल्य और खुदरा मूल्य के अंतर का कम होना। वर्ष 2007 में रिटेल सेक्टर की भारतीय जीडीपी में हिस्सेदारी 8 से 10 फीसदी के बीच थी, जिसमें बाद के सालों में बढ़ोतरी भी देखने को मिली है। अब उम्मीद की जा रही है कि जीडीपी में रिटेल की हिस्सेदारी इसी साल 22 फीसदी तक पहुंच सकती है। इसमें रिटेल कारोबार में विदेशी निवेश की भूमिका बेहद अहम होगी। हम लोगों का आकलन है कि वर्ष 2025 तक भारत में उपभोक्ताओं का बाजार आज के मुकाबले चार गुना बढ़ जाएगा। तब हमारा उपभोक्ता बाजार दुनिया का पांचवां सबसे बड़ा बाजार होगा। सरकार के इस कदम से 2013 तक भारत का रिटेल बाजार बढ़कर 833 बिलियन डॉलर का हो जाएगा और 2018 तक यह बाजार 1.3 ट्रिलियन डॉलर का होगा। यह अनुमान 10 फीसदी चक्रवृद्धि ब्याज की दर से लगाया गया है। देश में इस दौरान युवा आबादी की क्रय शक्ति भी बढ़ेगी। 15 साल से कम उम्र के किशोरों के बाजार में ही 33 फीसदी की ग्रोथ देखी जा रही है। सरकार के इस कदम से बड़ा फायदा यह होगा कि रिटेल का कारोबार भी संगठित उद्योग में तब्दील होगा। अभी देश में संगठित रिटेल का कारोबार 8.3 बिलियन डॉलर का ही है। यानी कुल रिटेल बाजार में इसकी हिस्सेदारी महज 5 फीसदी की है। यह बाजार 40 फीसदी की दर से बढ़कर 2013 तक 107 बिलियन डॉलर का हो जाएगा। जब यह बाजार बढ़ेगा तो सरकार को इससे होने वाले राजस्व में वृद्धि होगी। रिटेल के बाजार में विदेशी निवेश को मंजूरी दिए जाने से ग्रामीण अर्थव्यवस्था को भी काफी फायदा होगा। बड़े-बड़े स्टोर सीधे किसानों से खरीददारी करेंगे, जिसके चलते किसानों को उनकी उपज की ज्यादा कीमत मिलेगी। अभी कृषि क्षेत्र की सबसे बड़ी मुश्किल यह है कि अनाज और फल-सब्जी उत्पादन का बड़ा हिस्सा रख-रखाव के अभाव में खराब हो जाता है। यह नुकसान कुल उत्पादन का एक तिहाई हिस्सा होता है और इसका नुकसान किसानों को ज्यादा उठाना पड़ता है। जब देश में मल्टी स्टोर अपने आधारभूत ढांचों का निर्माण करेंगे तो अनाज और फल-सब्जियों के रख-रखाव का प्रबंधन बेहतर ढंग से हो पाएगा। देश भर में कोल्ड स्टोरेज और वेयरहाउस की कमी नहीं रहेगी। यह तय है कि रिटेल के बाजार में जो क्रांति होगी, उसमें बड़ी भागीदारी इन किसानों की होगी। उनकी उपज को बेहतर दाम भी मिलेगा और उनका उत्पादन भी बढ़ेगा। इससे भारतीय ग्रामीण अर्थव्यवस्था में तेजी आएगी। हमारे आकलन के मुताबिक भारत के घरेलू रिटेल बाजार में ग्रामीण भारत की हिस्सेदारी करीब 50 फीसदी तक पहुंच जाएगी। इस दौरान आने वाले दस सालों में औसत ग्रामीण व्यक्ति की आय में 50 फीसदी की वृद्धि भी होगी।
No comments:
Post a Comment