पेट्रोल को बाजार के हवाले कर चुकी सरकार अब डीजल और रसोई गैस कीमतों को नियंत्रणमुक्त करने को लेकर भी गंभीर हो गई है। वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी ने एक साक्षात्कार में इस बारे में साफ-साफ कह डाला। उनकी ही जुबानी, हमने पेट्रोल को नियंत्रणमुक्त किया है। डीजल, केरोसीन और एलपीजी में भी हम यह करना चाहते हैं। लेकिन केरोसीन पर हम सब्सिडी देना जारी रखेंगे, ताकि बिजली से महरूम लोग रोशनी के लिए इसका इस्तेमाल कर सकें। वित्त मंत्री के मुताबिक, सरकार घरेलू पेट्रोलियम उत्पादों के दामों को अंतरराष्ट्रीय बाजार से जोड़ना चाहती है। पेट्रोल तो पहले से नियंत्रणमुक्त है। सरकार डीजल, केरोसीन और एलपीजी लागत से कम कीमत पर बेचने के कारण तेल कंपनियों को होने वाले नुकसान की भरपाई सब्सिडी देकर या तेल बांड के जरिये करती है। अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के दाम जुलाई में बढ़कर 116-118 डॉलर प्रति बैरल हो गए, जबकि जून में ये 110 डॉलर प्रति बैरल पर थे। इस कीमत वृद्धि का असर भारत पर पड़ेगा, क्योंकि देश की तीन चौथाई जरूरत आयात से पूरी होती है। सरकार ईधन और उर्वरक सब्सिडी पर हर साल करीब 73,637 करोड़ रुपये खर्च करती है। भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (यूआइडीएआइ) के चेयरमैन नंदन नीलेकणि की अध्यक्षता वाले कार्यबल ने केरोसीन, एलपीजी और उर्वरक सब्सिडी देने की सिफारिश की है। इसके लिए कार्यबल ने सरकार से पायलट परियोजनाएं शुरू करने को कहा है। सीधे नकद सब्सिडी के लिए सात राज्यों- तमिलनाडु, असम, महाराष्ट्र, हरियाणा, दिल्ली, राजस्थान और उड़ीसा में पायलट परियोजनाएं अक्टूबर से शुरू की जाएंगी। ज्यादा ऊंची है महंगाई दर वित्त मंत्री के मुताबिक, महंगाई दर का मौजूदा स्तर ज्यादा ऊंचा और अस्वीकार्य है। इसे 5 से 5.5 फीसदी के सामान्य स्तर पर लाने की कोशिश होगी। उन्होंने उम्मीद जताई कि महंगाई दर नरम पड़ेगी और अगले साल मार्च तक यह 6 से 7 फीसदी पर आ जाएगी। इस साल जून में महंगाई की मासिक दर 9.44 प्रतिशत रही। महंगाई के कारणों पर प्रणब बोले, ..मांग बढ़ रही है, आबादी बढ़ रही है, लोगों की आय बढ़ रही है। इसीलिए वे ज्यादा खरीद और खपत कर रहे हैं। खासकर फल, सब्जी, अंडा और मांस की खपत बढ़ रही है। रही खाद्य महंगाई की बात तो यह बीते साल फरवरी के 22 से घटकर अब 7.38 प्रतिशत पर आ गई है। महंगाई पर शिकंजा कसने के लिए रिजर्व बैंक ने हाल ही में अपनी अल्पकालिक कर्ज दरों आधा प्रतिशत की वृद्धि की है। इस बढ़ोतरी का कुछ हद तक अर्थव्यवस्था पर असर पड़ सकता है। उद्योग जगत ने इन दरों में वृद्धि पर कड़ी प्रतिक्रिया जताई है। इंडिया इंक का कहना है कि इस निर्णय से निवेश व आर्थिक विकास पर असर पड़ेगा। सरकार ने चालू वित्त वर्ष के दौरान विकास दर 8.75 से लेकर 9.25 प्रतिशत तक रहने का अनुमान लगाया है। हालांकि, रिजर्व बैंक ने विकास दर के अनुमान को घटाकर 8 प्रतिशत कर दिया है। उद्योगपतियों से आज मिलेंगे वित्त मंत्री इस सिलसिले में वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी सोमवार को रतन टाटा, मुकेश अंबानी, अनिल अंबानी और सुनील भारती मित्तल समेत 17 शीर्ष उद्योगपतियों से मुलाकात करेंगे। इस बैठक में अर्थव्यवस्था की रफ्तार बढ़ाने के उपायों पर चर्चा की जाएगी। ऊंची महंगाई और बढ़ती ब्याज दर के बीच अर्थव्यवस्था की धीमी चाल से निपटने के लिए जारी सरकारी प्रयासों के बीच यह मुलाकात हो रही है। बैठक में कुमार मंगलम बिड़ला, वाईसी देवेश्वर, नारायणमूर्ति और आनंद महिंद्रा को भी आमंत्रित किया गया है।
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