नई दिल्ली देश के चारों महानगरों को जोड़ने वाली स्वर्णिम चतुर्भुज सड़क परियोजना के निर्माण में हो रही देरी पर संसद की प्राक्कलन समिति ने गहरी चिंता जताई है। उत्तर से लेकर दक्षिण और पूरब से लेकर पश्चिम को जोड़ने वाली महत्वपूर्ण सड़क परियोजना भी विलंब की शिकार है। यह राष्ट्रीय राजमार्ग विकास परियोजना (एनएचडीपी) के तहत संचालित है। संसद में पेश समिति की 2010-11 की रिपोर्ट में कहा गया है कि पूर्व-पश्चिम और उत्तर-दक्षिण कॉरीडोर परियोजना को 2009 में ही बन कर तैयार हो जाना था। कई बार अवधि विस्तार देने के बाद समिति को बताया गया कि दिसंबर 2010 में इसे एक बार फिर से अवधि विस्तार दिया गया। समिति ने इस बात पर चिंता जताई है कि परियोजना की 444 किलोमीटर सड़क के लिए अभी टेंडर तक नहीं दिए गए हैं। जब तक सारे टेंडर दिए नहीं जाते तब तक सड़क परिवहन मंत्रालय भी बता पाने की स्थिति में नहीं है कि यह परियोजना कब तक पूरी हो पाएगी। इस परियोजना में विलंब के संबंध में मंत्रालय के तर्को से भी समिति सहमत नहीं है। समिति ने अनुशंसा की है कि पूर्व-पश्चिम, उत्तर-दक्षिण कॉरीडोर के बचे काम के लिए बिना देरी किए टेंडर दिए जाएं और एनएचएआइ बोर्ड जैसी कोई उच्च स्तरीय कमेटी इसकी पाक्षिक निगरानी करे, ताकि निर्माण कार्यो में आगे कोई विलंब न हो। देश के चार महानगरों को जोड़ने वाली स्वर्णिम चतुर्भुज सड़क परियोजना को 2004 में पूरा होना था। समिति ने सात साल बाद भी इस परियोजना के पूरा नहीं होने पर नाराजगी जाहिर की है। मंत्रालय की इस दलील से समिति ने असहमति व्यक्त की कि इतने बड़े पैमाने की सड़क परियोजना को पूरा करने के लिए देश का निर्माण उद्योग सक्षम नहीं था। समिति ने कहा है भूतल परिवहन मंत्रालय सड़क निर्माण के काम में आने वाले भारी उपकरणों के आयात की अनुमति देने का फैसला लेने में शीघ्रता दिखाकर निर्माण में होने वाली देरी को कम कर सकता था। समिति ने अनुशंसा की है कि मंत्रालय सतत निगरानी करके जल्द से जल्द इस परियोजना को पूरा कराए।
No comments:
Post a Comment