सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी कोल इंडिया 12वीं पंचवर्षीय योजना (2012-17) में खदानों के विकास पर 40,000 करोड़ रुपये का निवेश करेगी। 12वीं योजना के दौरान कोयला उत्पादन का लक्ष्य काफी अधिक है, इसलिए ज्यादा निवेश की जरूरत है। कंपनी के चेयरमैन एनसी झा ने यह जानकारी दी। 11वीं योजना में कंपनी ने 35,000 करोड़ रुपये के निवेश का लक्ष्य रखा था। मगर बाधाओं के कारण अब तक 25,000 करोड़ रुपये से भी कम निवेश कर पाई हैं। कोल इंडिया ने वर्ष 2016-17 तक 55.6 करोड़ टन कोयला उत्पादन का लक्ष्य रखा है। 12वीं योजना के अंत तक मांग 96.5 करोड़ टन रहने का अनुमान है। जबकि निजी खदानों को मिलाकर देश में कुल कोयला उत्पादन वर्ष 2016-17 तक 70 करोड़ टन रहने का अनुमान है। शेष मांग को पूरा करने के लिए आयात बढ़ाना होगा। एनसी झा ने कहा कि विदेशों में कोयला संपत्तियों के अधिग्रहण की योजना उम्मीद के मुताबिक आगे नहीं बढ़ रही है। अगली पंचवर्षीय योजना में कंपनी का ध्यान देश के भीतर कोयला खदानों के विकास पर होगा। उन्होंने कहा कि चालू वित्त वर्ष में 45.2 करोड़ टन कोयला उत्पादन का लक्ष्य है। ज्यादा बारिश के कारण सितंबर तक कम उत्पादन के बावजूद कंपनी लक्ष्य को हासिल कर लेगी। उन्होंने कहा कि नए खान विधेयक से कंपनी के लाभ में सालाना करीब 2,000 करोड़ रुपये की कमी आएगी। इस विधेयक के तहत कोयला खनन कंपनियों को अपना 26 फीसदी लाभ परियोजना से प्रभावित लोगों में वितरित करना होगा। झा ने कहा कि अगर सरकार सार्वजनिक क्षेत्र के लाभ को बनाए रखना चाहती है तो उसे कोयले की कीमत में वृद्धि का सहारा लेना होगा। इससे पहले झा ने कहा था कि नए कानून के कारण जो अतिरिक्त बोझ पड़ेगा उसे ग्राहकों पर डाला जाएगा। घरेलू कोयले की कीमत फिलहाल 770 रुपये से 1,700 रुपये प्रति टन है।
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