फाइलों और मंजूरियों के खेल में उलझी स्टील कंपनी आर्सेलर मित्तल उड़ीसा के प्रस्तावित प्लांट से हाथ वापस खींच सकती है। लगभग 1.2 करोड़ टन स्टील उत्पादन वाले इस संयंत्र में भूमि अधिग्रहण से लेकर मंजूरियों तक को लेकर कई समस्याएं सामने आ रही हैं। कंपनी सूत्रों के मुताबिक पिछले डेढ़ साल में कंपनी को इस परियोजना में कोई प्रगति हासिल नहीं हुई है। ऐसे में कंपनी कर्नाटक और झारखंड में प्लांट लगाने पर ज्यादा गंभीर होती जा रही है। अधिग्रहण के लिए जरूरी 15 ग्रामसभाओं में से अभी तक मात्र आठ सभाएं ही आयोजित हुई हैं। यह ग्रामसभाएं 2010 के मध्य तक ही हो गई थीं। इसके बाद एक भी ग्रामसभा नहीं हुई। आर्सेलर मित्तल ने 2006 में उड़ीसा सरकार के साथ एमओयू पर हस्ताक्षर किए थे। इसके तहत क्योंझर में लगभग 10 अरब डॉलर (50 हजार करोड़ रुपये) के निवेश से 1.2 करोड़ टन स्टील उत्पादन का प्लांट लगाया जाना था। इस एमओयू की अवधि दिसंबर में खत्म हो रही है। जब इस प्रोजेक्ट के भविष्य के बारे में कंपनी प्रतिनिधि से पूछा गया तो उन्होंने कुछ भी बताने से इंकार कर दिया। इस बीच आर्थिक मंदी के चलते कंपनी ने लगभग एक अरब डॉलर की बचत करने का अभियान चला दिया है। कंपनी प्रवक्ता ने बताया कि इस अभियान से कंपनी को दूरगामी फायदे होंगे। हालांकि इसका भारत में किए जा रहे निवेश पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा। वहीं कर्नाटक में स्थिति कहीं बेहतर है। कंपनी के प्रस्तावित 60 लाख टन उत्पादन वाले प्लांट के लिए वहां लगभग पूरी जमीन अधिग्रहित की जा चुकी है। वहीं कंपनी झारखंड में खुद ही भूमि अधिग्रहण कर रही है। कंपनी वहां करमपाड़ा में लौह अयस्क खनन परियोजना शुरू करना चाह रही है। कंपनी का अनुमान है कि इन खदानों से लगभग 20 करोड़ टन का उत्पादन किया जा सकेगा।
No comments:
Post a Comment