: रुपये की कीमत में गिरावट, बढ़ती ब्याज दरें, ऊंची महंगाई दर और वैश्विक आर्थिक मंदी की आहट के कारण चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में घरेलू आइटी कंपनियों को छोड़कर ज्यादातर कंपनियों के मुनाफे में सेंध लग सकती है। बुधवार को देश की दूसरी सबसे बड़ी आइटी कंपनी इंफोसिस के नतीजों से दूसरी तिमाही के वित्तीय परिणाम घोषित करने की शुरुआत होगी। जानकारों का कहना है कि केवल रुपये में आई तेज गिरावट से ही कंपनियों के मुनाफे में तीन से पांच फीसदी की कमी हो सकती है। विदेश से लिए कर्ज पर उन्हें ज्यादा ब्याज चुकाना पड़ेगा। इसके अलावा वैश्विक और घरेलू अर्थव्यवस्था की दिनों-दिन खस्ता हो रही हालत का असर भी कंपनियों के नतीजों पर पड़ सकता है। बैकिंग और इक्विटी अनुसंधान क्षेत्र की प्रमुख कंपनी सीएलएसए ने दूसरी तिमाही के नतीजों के पूर्वानुमान संबंधी अपनी रपट में कहा कि जिन कंपनियों ने विदेशी मुद्रा संबंधी देनदारियों के मामले में सुरक्षा का इंतजाम नहीं किया है, उनके मुनाफे पर रुपये की कमजोरी का असर पड़ना तय है। ब्रोकरेज कंपनी रेलिगेयर कैपिटल के मुताबिक दूसरी तिमाही के नतीजों में आर्थिक मंदी के संकेत दिखेंगे। सेंसेक्स में शामिल ब्लूचिप कंपनियों के मुनाफे में नौ फीसदी से कम वृद्धि दर्ज हो सकती है। इंफोसिस के बाद देश की दिग्गज कंपनी रिलायंस इंडस्ट्रीज 15 अक्टूबर को अपने नतीजे घोषित करेगी। इस तिमाही के नतीजे शेयर बाजार के लिए अगला संकेतक साबित होंगे। रेलिगेयर कैपिटल को दूसरी तिमाही में आइटी, बैंकिंग, एफएमसीजी, सीमेंट और फार्मा क्षेत्र के नतीजे अच्छे रहने की उम्मीद है। जबकि रियल एस्टेट, दूरसंचार, बिजली और धातु क्षेत्र के नतीजे निराशाजनक हो सकते हैं। सीएलएसए के मुताबिक बढ़ती ब्याज दर का असर लगभग सभी कंपनियों पर होगा क्योंकि इससे कंपनियों की कर्ज लागत बढ़ रही है।
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