Saturday, June 30, 2012

रसातल में रुपया सरकार परेशान


डॉलर के मुकाबले रुपया नीचे गिरते हुए रसातल में जा पहुंचा है। भारतीय मुद्रा में तेज गिरावट ने सरकार की परेशानियां बढ़ा दी हैं। एक डॉलर की कीमत शुक्रवार को 57 रुपये के पार चली गई। यह स्तर टूटते ही केंद्र सरकार हरकत में आ गई। सरकार ने कहा है कि वह गिरते रुपये को थामने के लिए देश में डॉलर का प्रवाह बढ़ाने के उपाय करेगी। पिछले एक हफ्ते में डॉलर के मुकाबले रुपये की कीमत तीन प्रतिशत से ज्यादा गिर चुकी है। शुक्रवार को अंतरबैंक विदेशी मुद्रा बाजार में डॉलर के मुकाबले रुपये की कीमत में तेज गिरावट आई। सुबह के कारोबार में डॉलर की कीमत 56.80 रुपये पर खुली, लेकिन शुरुआती कारोबार में देखते ही देखते 57 का स्तर पार कर गई। दिन भर के कारोबार में भारतीय मुद्रा 57.37 रुपये प्रति डॉलर के रिकॉर्ड निचले स्तर तक चली गई। बाद में रुपया कुछ सुधरा। इसके बावजूद यह 85 पैसे की गिरावट के साथ 57.16 रुपये प्रति डॉलर पर बंद हुआ। यह रुपये का अब तक का सबसे निचला बंद स्तर है। डॉलर के मुकाबले रुपये में तेज गिरावट के बाद वित्त सचिव आरएस गुजराल ने कहा कि सरकार रुपये की कीमत को सहारा देने के लिए देश में विदेशी मुद्रा का प्रवाह बढ़ाने के प्रयासों में लगी है। केंद्रीय बैंक ने पिछले दिनों देश में डॉलर का प्रवाह बनाए रखने के लिए कई कदम उठाए हैं जिनमें निर्यातकों की आधी आमदनी को रुपये में तब्दील करना शामिल है। संसाधन सीमित होने की वजह से रिजर्व बैंक शुक्रवार को भी बाजार में रुपये को सहारा देने के लिए नहीं उतरा। रुपये में यह कमजोरी अंतरराष्ट्रीय बाजार में डॉलर की मजबूती से आई। अमेरिकी केंद्रीय बैंक फेडरल रिजर्व की तरफ से कोई नीतिगत समर्थन नहीं मिलने से निवेशकों का रुख इक्विटी बाजार से पलटकर डॉलर की तरफ हो गया है। उन्हें इस वक्त डॉलर में निवेश करना सबसे सुरक्षित लग रहा है। अंतरराष्ट्रीय वित्तीय बाजारों में नकारात्मक रुख से भी डॉलर में लगातार मजबूती आ रही है। इसके चलते घरेलू शेयर बाजार में भी गिरावट रही। रुपये की कीमत में कमजोरी अर्थव्यवस्था की खराब स्थिति की वजह से भी बनी हुई है। वैसे, अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में कमी ने चालू खाते के घाटे में और बढ़ोतरी पर रोक लगाई है। इसके बावजूद मुद्रा बाजार में रुपये की गिरावट थम नहीं रही है। रुपये की कीमत में कमी के चलते सस्ते कच्चे तेल का फायदा भी अर्थव्यवस्था को नहीं मिल रहा है।

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