Monday, April 30, 2012

भारत की आर्थिक साख गिरी


बिगड़ते आर्थिक हालत व यूपीए सरकार के नीतिगत अनिर्णय के बीच भारतीय अर्थव्यवस्था से दुनिया का भरोसा घटने लगा है। वैश्विक क्रेडिट रेटिंग एजेंसी स्टैंडर्ड एंड पुअर्स (एसएंडपी) ने देश की अर्थव्यवस्था के मौजूदा हालत और राजनीतिक परिदृश्य को खराब मानते हुए भारत की रेटिंग का आकलन स्थिर से घटाकर नकारात्मक कर दिया है, जो किसी देश की साख के नजरिए का सबसे निचला दर्जा है। यह बदलाव भारत की रेटिंग में कमी की भूमिका है। एजेंसी ने अगले दो वर्ष में स्थितियों में सुधार न होने पर रेटिंग घटाने की चेतावनी दी है। यह फैसला वित्तीय बाजार से निवेशकों का पलायन शुरू कर सकता है जिससे रुपये में गिरावट तेज हो सकती है। वैसे अप्रैल में विदेशी निवेशक बाजार से 760 करोड़ रुपये निकाल चुके हैं। ताजा रेटिंग पर वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी ने कहा कि मैं इसे लेकर कुछ चिंतित जरूर हूं लेकिन घबराहट नहीं है। मुझे पूरा विश्वास है कि अर्थव्यवस्था सात फीसदी की रफ्तार से बढ़ेगी, अधिक नहीं तो यह सात प्रतिशत के आसपास रह सकती है। हम राजकोषीय घाटे को सकल घरेलू उत्पाद के 5.1 फीसदी के दायरे में रखने में कामयाब होंगे। अभी भारत की दीर्घकालिक रेटिंग का आउटलुक यानी नजरिया बीबीबी प्लस (स्थिर) है। एस एंड पी ने इसे घटाकर बीबीबी नकारात्मक कर दिया है। यह फैसला आते ही शेयर बाजार में घबराहट फैल गई और निवेशकों ने बिकवाली शुरू कर दी। हालांकि बाद में वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी के बयान के बाद बाजार की स्थिति कुछ सुधरी। यही स्थिति मुद्रा बाजार की रही। डालर के मुकाबले रुपये की कीमत तेजी से गिरी, लेकिन बाद में डालर की कीमत 52.48 रुपये पर आ गई। रेटिंग का ऐलान होते ही सरकार ने इसके असर का आकलन शुरू कर दिया। वित्त मंत्री ने संसद परिसर में ही अपने मंत्रालय के उच्चाधिकारियों से राय मशविरा किया। वित्त मंत्रालय के अफसरों ने हाल में एस एंड पी के प्रतिनिधियों संग बैठक में भारत की रेटिंग बढ़ाने पर जोर दिया था,इसके बावजूद एजेंसी ने रेटिंग परिदृश्य घटा दिया। सरकार पर अब सुधारों की रफ्तार बढ़ाने का दबाव है। ऐसा नहीं होने की सूरत में भारतीय कंपनियों के लिए विदेशों से कर्ज उठाना मुश्किल हो जाएगा। साथ ही शेयर बाजार पर भी इसका नकारात्मक असर होगा। इससे विदेशी संस्थागत निवेशक (एफआइआइ) के निवेश में कमी का खतरा बनेगा। एस एंड पी के क्रेडिट विश्लेषक ताकाहीरा आगावा ने एक बयान में कहा, आर्थिक परिदृश्य में बदलाव के पीछे तीन में से एक की संभावना की हमारी सोच ने काम किया है। इसमें जिन बातों पर विचार किया जाता है उनमें बाह्य मोर्चे पर स्थिति का लगातार बिगड़ना, आर्थिक वृद्धि की संभावनाएं खत्म होना अथवा कमजोर राजनीतिक समन्वय में वित्तीय सुधारों के मोर्चे पर स्थिति ढीली बने रहना है। रेटिंग एजेंसी ने कहा है कि अगले 24 माह में यदि भारत के आर्थिक परिदृश्य में सुधार नहीं होता है, विदेशी मोर्चे पर स्थिति और बिगड़ती है और राजनीतिक परिवेश बिगड़ता है तथा राजकोषीय सुधारों की गति धीमी पड़ती है, तो रेटिंग और कम हो सकता है। एजेंसी ने जीएसटी, पेट्रोलियम व उर्वरक सब्सिडी में कमी, खुदरा रिटेल में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश की अनुमति जैसे आर्थिक सुधारों को जरूरी बताया है। एसएंडपी का मानना है कि हालांकि, भारत की वास्तविक जीडीपी वृद्धि वर्ष 2012-13 में 5.3 फीसदी बनी रहेगी, क्योंकि पिछले पांच वर्षो में इसमें औसतन 6 प्रतिशत वृद्धि दर्ज की गई है। एजेंसी ने कहा है कि भारत की अनुकूल दीर्घकालिक आर्थिक वृद्धि संभावनाएं और उच्च स्तर का विदेशी मुद्रा भंडार इसकी रेटिंग को समर्थन देता है। इसके विपरीत भारत का ऊंचा राजकोषीय घाटा और भारी कर्ज इसकी साख बढ़ाने के रास्ते की सबसे बड़ी रुकावट है। मई 2014 में होने वाले आम चुनाव व मौजूदा राजनीतिक पेचीदगियों को देखते हुए सरकार की तरफ से आर्थिक सुधारों की उम्मीद कम दिखाई देती है। 

Monday, April 23, 2012

स्वास्थ्य बीमा कार्ड दिलाएगा राशन भी


महज 30 रुपये में गरीबी रेखा के नीचे (बीपीएल) रहने वाले परिवारों को सालाना 30 हजार तक के इलाज की सुविधा देने वाला राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना का स्मार्ट कार्ड अब सरकारी सस्ता राशन भी उपलब्ध कराएगा। उत्तर प्रदेश, दिल्ली और महाराष्ट्र जैसे राज्यों में यह योजना भले ही फिसड्डी साबित हो रही है, लेकिन दूसरे राज्य इसे सिर-आंखों पर बैठा रहे हैं। भाजपा शासित छत्तीसगढ़ तो इस स्मार्ट कार्ड को राशन कार्ड के रूप में भी इस्तेमाल करने जा रहा है। सूत्रों के मुताबिक, छत्तीसगढ़ सरकार ने बीपीएल परिवारों के इलाज के लिए चल रही राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना (आरएसबीवाई)को सरकारी सस्ते राशन की दुकानों से जोड़ने का खाका तैयार कर लिया है। राज्य में बीपीएल परिवारों के इलाज के लिए बनने वाले 64 केबी के स्मार्ट कार्ड में ही उनका सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) से जुड़ा डाटा भी शामिल करने की योजना है। मसलन स्मार्ट कार्ड में उपभोक्ता के राशन कार्ड का नंबर और उस पर मिलने वाले खाद्यान्न आदि का विस्तृत ब्योरा भी दर्ज कर दिया जाएगा। उसके बाद गरीब परिवार उस कार्ड से इलाज के साथ ही हर महीने अपना राशन भी उठा सकेंगे। सूत्रों की मानें तो योजना को चला रहे केंद्रीय श्रम व सेवायोजन मंत्रालय ने छत्तीसगढ़ राज्य सरकार की ओर से इस नई पहल के प्रस्ताव को हरी झंडी भी दे दी है। बताते हैं कि जब तक 64 केबी के नए स्मार्ट कार्ड नहीं बन जाते, राज्य सरकार तब तक मौजूदा स्मार्ट कार्ड (बायोमैट्रिक) को ही बीपीएल उपभोक्ताओं की पहचान के प्रमाण के रूप में उपयोग करने जा रही है। जबकि नए स्मार्ट कार्ड में उपभोक्ताओं के राशन कार्ड का पूरा ब्योरा तो दर्ज होगा ही, साथ सस्ते राशन की सरकारी दुकानों का भी विवरण उपलब्ध रहेगा। राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना के तहत बीपीएल परिवारों को महज तीस रुपये के स्मार्ट कार्ड के जरिए सालाना 30 हजार रुपये तक के इलाज का प्रावधान है। श्रम व सेवायोजन मंत्रालय के उच्चपदस्थ सूत्रों के मुताबिक योजना वैसे तो देश के ज्यादातर राज्यों में प्रभावी ढंग से चल रही है, लेकिन उत्तर प्रदेश, दिल्ली और महाराष्ट्र जैसे राज्यों में यह काफी पीछे चल रही है। यह जरूर है कि स्वास्थ्य बीमा के स्मार्ट कार्ड को राशन कार्ड के रूप में भी इस्तेमाल से पीडीएस पारदर्शिता व बेहतर नतीजों से इंकार नहीं किया जा सकता।

दहाई के करीब पहुंची खुदरा महंगाई


दूध, अंडा, मीट जैसे प्रोटीन उत्पादों की कीमतों में तेज बढ़ोतरी ने मार्च में खुदरा महंगाई की दर को दोहरे अंक के नजदीक पहुंचा दिया है। महंगाई की दर को इस स्तर तक लाने में ईधन और सब्जियों की कीमतों ने भी महती भूमिका निभाई है। खुदरा महंगाई के मार्च, 2012 के आंकड़ों के मुताबिक इस महीने इसकी दर 9.47 प्रतिशत पर पहुंच गई है। फरवरी, 2012 में खुदरा महंगाई की दर 8.83 प्रतिशत रही थी। दूध की कीमतों में अभी और बढ़ोतरी की आशंका है। लिहाजा, आने वाले महीनों में खुदरा महंगाई की दर के दहाई अंक के पार जा सकती है। खुदरा महंगाई की दर का आकलन शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों के मिले-जुले खुदरा मूल्य सूचकांक के आधार पर किया जाता है। सूचकांक के मुताबिक दूध और इसके उत्पादों की कीमतों में पिछले साल के मार्च महीने के मुकाबले 15.22 प्रतिशत वृद्धि हुई है। अंडा, मछली और मांस के उत्पादों की कीमत 10.06 प्रतिशत बढ़ी है। तेल और वसा उत्पादों की कीमतें भी इस अवधि में तेजी से बढ़ी हैं। इनमें पिछले साल के मुकाबले मार्च 2012 में 14.20 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है। गैरखाद्य उत्पादों में कपड़े, बेडिंग और फुटवियर मार्च में महंगे हुए हैं। इनकी कीमतों में 12.50 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है।

Monday, April 16, 2012

बिहार को एडीबी देगा 1000 करोड़ कर्ज


एशियन डेवलपमेंट बैंक (एडीबी) बिहार में बहुत बड़ी आबादी को आज भी पीने का स्वच्छ पानी और साफ-सफाई की दयनीय स्थिति को लेकर चिंतित है। बैंक राज्य की इस स्थिति में सुधार के लिए करीब 1000 करोड़ रुपये की वित्तीय सहायता देगा। एडीबी ने बिहार की राजधानी पटना और राज्य के चार अन्य बड़े शहरों भागलपुर, दरभंगा, मुजफ्फरपुर और गया में पेयजल आपूर्ति, गंदे नालों और स्वच्छता की स्थिति का अध्ययन कराया है। इस अध्ययन रिपोर्ट के मुताबिक राज्य में पिछले कुछ सालों में आर्थिक हालात सुधरने के बावजूद यहां के शहरों में पेयजल आपूर्ति और साफ-सफाई को 2021 तक राष्ट्रीय स्तर पर लाने के लिए 3,420 करोड़ रुपये की वित्तीय सहायता जरूरत होगी। हालांकि केंद्र और बिहार सरकार ने इसके लिए 340 करोड़ रुपये की योजना तैयार की है। एडीबी के दक्षिण एशिया विभाग के डायरेक्टर जनरल सुल्तान हफीज रहमान के मुताबिक बिहार की बड़ी आबादी को आज भी पीने के लिए स्वच्छ पानी मयस्सर नहीं हो रहा है। गंदा जल पीने के कारण ग्रामीण इलाकों के बच्चे और गरीब मजदूर जल जनित बीमारियों से तो पीडि़त हो ही रहे हैं, शहरों में रहने वाली बड़ी आबादी भी शुद्ध पेयजल से वंचित है। ऐसे हालात पेयजल आपूर्ति और सीवेज सिस्टम के रखरखाव की खराब स्थिति और पूंजी निवेश की कमी की वजह से हैं। एडीबी की रिपोर्ट के मुताबिक भागलपुर के 81 फीसदी घरों में पेयजल आपूर्ति की व्यवस्था है लेकिन यहां दिन में मात्र चार से पांच घंटे ही पानी की आपूर्ति हो रही है। कर्ज की इस राशि से बिहार पेयजल आपूर्ति और साफ सफाई के क्षेत्र में इस कमी को पूरा कर सकेगा। कर्ज की पहली दो किस्तों का इस्तेमाल भागलपुर, तीसरी किस्त से दरभंगा और गया तथा चौथी से मुजफ्फरपुर की खराब पेयजलापूर्ति पाइपलाइनों का निर्माण, नए वाटर पंपों की स्थापना और वाटर ट्रीटमेंट प्लांट लगाए जाएंगे। एक शहर में यह पूरा काम किसी एक ही एजेंसी से होगा।

एयर इंडिया के पुनरुद्धार पैकेज को मंजूरी


सरकार ने घाटे, कर्ज और नकदी संकट से जूझ रही एयर इंडिया की पुनरुद्धार योजना (टीएपी) और वित्तीय पुनर्गठन योजना (एफआरपी) को मंजूरी दे दी है। इसके तहत सरकार वर्ष 2020 तक कंपनी में 30,231 हजार करोड़ का इक्विटी निवेश करेगी। इसमें 4,000 करोड़ रुपये का निवेश चालू वित्त वर्ष में होगा। साथ ही बोइंग ड्रीमलाइनर विमानों की खरीद को हरी झंडी दी गई है। कैबिनेट मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति (सीसीईए) की गुरुवार को हुई बैठक में एयरलाइनों में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के प्रस्ताव को अगले हफ्ते के लिए टाल दिया गया। पुनरुद्धार पैकेज के लागू होने से इस साल एयर इंडिया का इक्विटी आधार बढ़कर 7,345 करोड़ रुपये हो जाएगा। वहीं, अगले महीने से कंपनी को बोइंग ड्रीमलाइनर-787 विमान मिलने शुरू हो जाएंगे। इस सरकारी एविएशन कंपनी ने वर्ष 2005 में बोइंग को 27 ड्रीमलाइनर विमानों का आर्डर दिया था। इनमें से पहला विमान अगले महीने मिलने की उम्मीद है। पहले इनकी डिलीवरी वर्ष 2009 में शुरू होनी थी, लेकिन कुछ समस्याओं के चलते अमेरिकी विमान कंपनी बोइंग ने आपूर्ति टाल दी थी। भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआइ) के नेतृत्व वाले 19 बैंकों के समूह ने पिछले महीने एयर इंडिया के लिए वित्तीय पुनर्गठन पैकेज को मंजूरी दी थी। इसके तहत कंपनी 18 हजार करोड़ रुपये के कर्ज की अदायगी का नया शिड्यूल तय करने के लिए सरकार को 4000 करोड़ रुपये की नई इक्विटी डालनी थी। सीसीईए का ताजा फैसला उसी कड़ी में है। एफआरपी से एयर इंडिया को कार्यशील पूंजी का कर्ज अदा करने में ब्याज और समय की बड़ी राहत दी गई है। एफआरपी के तहत एयर इंडिया ने इस साल 31 मार्च को बैंकों के साथ चार समझौते किए थे। इनमें समग्र पुनर्गठन के अलावा कार्यशील पूंजी के पुनर्गठन और फैसिलिटी एजेंटों व ट्रस्टियों की नियुक्ति करने संबंधी के समझौते शामिल थे। कंपनी के 10,500 करोड़ के कार्यशील पूंजी कर्ज को दीर्घकालिक ऋण में तब्दील किया जाना है। इस कर्ज पर 11 फीसदी की दर से ब्याज देय होगा। इससे एयर इंडिया को चालू वित्त वर्ष में ही तकरीबन 1,000 करोड़ की बचत होगी। इसके अलावा निवेशकों के लिए 7,400 करोड़ रुपये के सरकारी गारंटीशुदा नॉन कन्वर्टिबल डिबेंचर जारी किए जाएंगे। इससे प्राप्त राशि का उपयोग एयर इंडिया कर्ज की अदायगी में करेगी। कार्यशील पूंजी में से 3,500 करोड़ का पुनर्गठन कैश-क्रेडिट व्यवस्था के तौर पर किया जाएगा। सरकार बीते तीन वित्त वर्ष के दौरान एयर इंडिया में कुल 3,200 करोड़ का इक्विटी निवेश कर चुकी है। बनेगी अलग कंपनी नागरिक विमानन मंत्री अजित सिंह ने संवाददाताओं को बताया कि पुनरुद्धार के तहत एयर इंडिया के 7,000 कर्मचारियों को इंजीनियरिंग विभाग में भेजा जाएगा। इसके अलावा विमानों की मरम्मत एवं रखरखाव (एमआरओ) के लिए अलग से एक कंपनी बनाई जाएगी। यह दूसरी एयरलाइनों को भी अपनी सेवाएं देगी।

कारों की बिक्री 20 लाख के पार


भारत में कार बिक्री में बढ़ोतरी 2011-12 के दौरान पिछले दो साल में भले ही कम रही हो, लेकिन वह कार उत्पादन के लिहाज से विश्र्व में पांचवें नंबर पर है। यह बात सामने आई है सोसायटी ऑफ इंडियन ऑटोमोबाइल मैन्युफैक्चरर्स (सियाम) की रिपोर्ट में। सियाम के अध्यक्ष एस शांडिल्य ने कहा कि यह पहला मौका है जब देश में कारों की बिक्री का सालाना आंकड़ा 20 लाख को पार कर गया। वाहन उद्योग के शीर्ष संगठन सियाम द्वारा मंगलवार को जारी ताजा आंकड़ों के मुताबिक भारत में वर्ष 2011-12 के दौरान कुल 20,16,115 कारों की बिक्री हुई। यह पिछले साल के मुकाबले महज 2.19 फीसदी अधिक है। वित्त वर्ष 2010-11 के दौरान 19,72,845 कारों की बिक्री हुई थी। वित्त वर्ष की आखिरी तिमाही विशेष तौर पर मार्च में कारों की बिक्री बढ़ी। बजट से पहले हुई खरीद से बिक्री की दर में कुछ सुधार हुआ है। मार्च में कारों की बिक्री 19.66 फीसदी बढ़ी। इस दौरान 2,29,866 कारें बिकीं। वित्त वर्ष 2008-09 के दौरान जब वैश्विक वित्तीय संकट का दौर शुरू हुआ था तब भारत में कारों की बिक्री सिर्फ 1.4 फीसदी बढ़ी थी। उसके बाद 2009-10 के दौरान यह 25 फीसदी और 2010-11 के दौरान 29 फीसद बढ़ी।शांडिल्य ने कहा कि आरबीआइ से ब्याज दरों में कमी के संकेत और आर्थिक विकास दर करीब 7.5 से आठ फीसदी रहने की उम्मीद के बीच चालू वित्त वर्ष में कारों की बिक्री 10-12 और दोपहिया वाहनों की 11 से 13 फीसद बढ़ने का अनुमान है। वित्त वर्ष 2011-12 के दौरान देश में एक करोड़ 96 हजार मोटरसाइकिलों की बिक्री हुई। 2010-11 में यह संख्या 90 लाख 13 हजार 888 थी। 2011-12 के दौरान देश में कुल एक करोड़ 34 लाख 35 हजार 769 दोपहिया वाहनों की बिक्री हुई जो पिछले साल के मुकाबले 14.16 फीसदी अधिक है। 2010-11 में एक करोड़ 17 लाख 68 हजार 991 दोपहिया वाहन बिके थे। 2011-12 में वाणिज्यिक वाहनों के बिक्री में 18.2 फीसदी की बढ़ोतरी हुई और इस दौरान 8,09,532 वाहनों की बिक्री हुई। इस खंड में 2012-13 के दौरान करीब नौ से 11 फीसदी बढ़ोतरी का अनुमान है।

Tuesday, April 3, 2012

तीन रुपये महंगा होगा पेट्रोल!


बजट सत्र के पहले चरण की समाप्ति के साथ ही तेल कंपनियां पेट्रोल के दाम बढ़ाने की तैयारी में जुट गई हैं। माना जा रहा है कि एक अप्रैल से सार्वजनिक क्षेत्र की तीनों तेल कंपनियां दाम में तीन रुपये प्रति लीटर की बढ़ोतरी करेंगी। सूत्रों के मुताबिक तेल कंपनियों को पेट्रोल पर प्रति लीटर 6.43 रुपये का नुकसान हो रहा है। 20 फीसदी बिक्री कर को इसमें जोड़ दें तो दिल्ली में यह वृद्धि 7.72 रुपये प्रति लीटर बैठती है। मगर एक बार में इतनी वृद्धि करना मुश्किल है। इसलिए इसमें तीन या चार रुपये प्रति लीटर की वृद्धि संभव है। अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के दाम इस समय करीब 125 डॉलर प्रति बैरल के आसपास हैं। इस वजह से तेल कंपनियों का नुकसान बढ़ता जा रहा है। नियम के तहत तेल कंपनियां हर महीने की एक और 16 तारीख को कीमतों की समीक्षा करती हैं। तेल कंपनियों ने पिछली बार एक दिसंबर को पेट्रोल के दामों में संशोधन किया था। तब कीमतें 78 पैसे प्रति लीटर घटाई गई थीं। इस समय दिल्ली में पेट्रोल की कीमत 65.64 रुपये प्रति लीटर है। सरकार ने हालांकिपेट्रोल की कीमतें को जून, 2010 में ही नियंत्रण मुक्त कर दिया था। मगर पांच राज्यों में चुनाव और उसके बाद बजट सत्र की शुरुआत के कारण कंपनियों पर दाम नहीं बढ़ाने का सरकार की ओर से अप्रत्यक्ष दबाव था। चुनाव निपट जाने के बाद सरकार की ओर से भी तेल कंपनियों को हरी झंडी मिलती दिख रही है।