Saturday, October 15, 2011

फिर ब्याज दरें बढ़ने का खतरा


ब्याज दरों में एक और वृद्धि की संभावना जोर पकड़ने लगी है। महंगाई कम होने का नाम नहीं ले रही। सरकार भी लगभग यह मान चुकी है कि महंगाई के खिलाफ उसके पास ब्याज दर बढ़ाने के अलावा और कोई चारा नहीं है। सितंबर में महंगाई की दर 9.72 फीसदी रही है जो अगस्त, 2011 के मुकाबले थोड़ा बेहतर तो है लेकिन सितंबर, 2010 के मुकाबले (8.98 फीसदी) खराब है। महंगाई के आंकड़े आने के कुछ ही देर बाद रिजर्व बैंक ने साफ संकेत दे दिए कि वह फिर ब्याज दरों को बढ़ाएगा। महंगाई के ताजा आंकड़े बताते हैं कि सितंबर, 2011 में सबसे ज्यादा मैन्युफैक्चरिंग उत्पादों की कीमतों में तेजी आई है। चाहे चमड़े के उत्पाद हों या कपड़े या फिर पैकेज्ड खाद्य उत्पाद, सभी की कीमतें बढ़ी है। खाद्य उत्पादों की श्रेणी में इस महीने 0.9 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। खाद्य उत्पादों की थोक कीमतें पिछले एक वर्ष के भीतर 9.23 फीसदी बढ़ी हैं। जानकारों का कहना है कि मैन्युफैक्चरिंग उत्पादों की कीमतों में लगातार वृद्धि से साफ है कि ब्याज दरें बढ़ने के बावजूद औद्योगिक क्षेत्र में महंगाई पर कोई काबू नहीं पाया जा सका है। अप्रैल, 2010 के बाद से अभी तक आरबीआइ 12 बार ब्याज दरों को बढ़ा चुका है। ब्याज दरों में संभावित कमी के बारे में जब आरबीआइ के डिप्टी गर्वनर केसी चक्रबर्ती से शुक्रवार को पूछा गया तो उनका सीधा जबाव था कि जब तक महंगाई काबू में नहीं आएगी, ब्याज दरों में वृद्धि जारी रहेगी। उन्होंने कहा, ब्याज दरों की वजह से महंगाई नहीं है बल्कि महंगाई की वजह से ब्याज दरों को बढ़ाना पड़ रहा है। आरबीआइ के पास और कोई तरीका नहीं है। प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद के अध्यक्ष व पूर्व आरबीआइ गर्वनर सी. रंगराजन भी मानते हैं कि जब तक महंगाई में साफ तौर पर कमी के संकेत नहीं मिले, आरबीआइ कड़ी मौद्रिक नीति जारी रख सकता है। उन्होंने उम्मीद जताई कि अगले कुछ महीनों में महंगाई की दर मौजूदा स्तर से नीचे आएगी। हालांकि वे पिछले छह महीने से ऐसा कर रहे हैं। सरकार और आरबीआइ पिछले वर्ष की रबी की कटाई के बाद से ही यह बता रहे हैं कि महंगाई की दर अब कम होगी। जबकि हकीकत यह है कि जबरदस्त अनाज उत्पादन के बावजूद खाद्य उत्पादों की कीमतों में भी नरमी का रूख नहीं दिख रहा है। जानकारों का कहना है कि नवंबर, 2011 में वार्षिक मौद्रिक नीति की छमाही समीक्षा के दौरान आरबीआइ ब्याज दरों को और बढ़ा सकता है। आरबीआइ का यह कदम मध्यम वर्ग के साथ ही औद्योगिक क्षेत्र को भारी नुकसान पहुंचा सकता है। हाल के महीने में औद्योगिक विकास दर भी लगातार कम हुई है। इसके लिए महंगे कर्ज को एक बड़ी वजह माना जा रहा है।

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