नई दिल्ली, प्रेट्र : भारतीय अर्थव्यवस्था फिर से
कुलांचे भरती नजर आएगी। विश्व विख्यात अर्थशास्त्री
जगदीश भगवती की मानें तो इसमें बहुत ज्यादा देर नहीं लगेगी।
महज दो-तीन साल में यह फिर से ग्लोबल वित्तीय संकट से पूर्व वाली नौ फीसद
की विकास दर हासिल कर लेगी। हां, इसके लिए जरूरी होगा कि सरकार हालिया
आर्थिक सुधारों को और धार दे। भगवती अमेरिका की कोलंबिया यूनिवर्सिटी
में अर्थशास्त्र के प्रोफेसर हैं। भारतीय मूल के जगदीश
ने साक्षात्कार में कहा, अगर
सरकार हाल में उठाए गए अपने कदमों पर डटी रही और इन्हें मजबूत
करने से नहीं चूकी तो हम 2-3 वर्षो में
आठ से नौ फीसद की ऊंची आर्थिक विकास दर पर वापस पहुंच सकते हैं। 2008 के
वैश्विक वित्तीय संकट से पूर्व भारतीय अर्थव्यवस्था की विकास दर लगातार तीन
वर्षो तक नौ फीसद के आसपास रही थी। पिछले वित्त वर्ष 2011-12 में
सकल घरेलू
उत्पाद यानी जीडीपी की यह वृद्धि दर गिरकर नौ साल के निचले स्तर 6.5 फीसद
पर आ गई। चालू वित्त वर्ष 2012-13 में
इसके और घटकर 5.5 फीसद
पर आने का
अनुमान है। हाल
ही में केंद्र सरकार ने रिटेल व विमानन क्षेत्र के लिए अपनी प्रत्यक्ष विदेशी
निवेश (एफडीआइ) नीति को खासा उदार बनाया है। सिंगल ब्रांड में 100 फीसद
एफडीआइ की अनुमति के बाद मल्टी ब्रांड रिटेल में भी 51 फीसद
प्रत्यक्ष विदेशी
निवेश को मंजूरी दी जा चुकी है। विमानन के मामले में विदेशी एविएशन कंपनियां
घरेलू एयरलाइनों में 49 फीसद
की हिस्सेदारी ले सकती हैं। बीमा और पेंशन कानूनों में
बदलाव करते हुए इन क्षेत्रों में भी एफडीआइ की अधिकतम सीमा
बढ़ा दी गई है। विकास
बनाम कल्याण की बहस को लेकर भगवती ने कहा, अमर्त्य सेन, महबूब
उल हक जैसे
अर्थशास्त्री कहते रहे हैं कि आर्थिक विकास गरीबी पर असर नहीं डालता। मगर
अब यह साफ हो गया है कि ऐसा नहीं है। 1991 के बाद हम कह सकते
हैं कि विकास
में लोगों को अधिक लाभदायक रोजगार देने की क्षमता है।
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