Wednesday, September 21, 2011

मैन्युफैक्चरिंग नीति पर अब मंत्रियों का समूह करेगा फैसला

नई दिल्ली मैन्युफैक्चरिंग नीति मंत्रालयों के आपसी झगड़े में फंस गई है। मंत्रिमंडल की बैठक में इस नीति पर विवाद खुलकर सामने आने के बाद प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने अब इस मामले को मंत्रिसमूह (जीओएम) के हवाले कर दिया है। केंद्रीय कृषि मंत्री शरद पवार इस नए जीओएम के अध्यक्ष होंगे। वाणिज्य व उद्योग मंत्रालय की इस नीति पर पर्यावरण और श्रम मंत्रालय ने आपत्ति जताई थी। इन आपत्तियों को नजरअंदाज करते हुए मंत्रालय नीति को कैबिनेट में मंजूरी के लिए ले गया, लेकिन बीते हफ्ते मंत्रिमंडल की बैठक में इस पर मंत्रालयों के आपसी विवाद खुल कर सामने आ गए। कैबिनेट की बैठक में न सिर्फ वन व पर्यावरण मंत्री जयंती नटराजन ने इस नीति के कुछ प्रस्तावों को लेकर आपत्ति जाहिर की, बल्कि विदेश दौरे के चलते कैबिनेट में उपस्थित नहीं होने वाले श्रम मंत्री मल्लिकार्जुन खड़गे ने लिखित में अपनी आपत्तियां पहले ही दर्ज करा दी थीं। सूत्रों के मुताबिक श्रम मंत्री ने प्रधानमंत्री से इस नीति पर उनकी उपस्थिति में ही बातचीत का आग्रह किया था। मैन्युफैक्चरिंग नीति को कैबिनेट में ले जाने से पहले भी औद्योगिक नीति व संव‌र्द्धन विभाग (डीआइपीपी) इन दोनों मंत्रालयों के साथ उनकी आपत्तियों को लेकर बातचीत कर चुका था। यह अलग बात है कि मंत्रालयों के आपसी विचार-विमर्श में कोई हल नहीं निकल पाया था। सूत्र बताते हैं कि इन तीनों मंत्रालयों के बीच उत्पन्न मतभेदों का हल नहीं निकलते देख अब प्रधानमंत्री ने इन मुद्दों पर फैसला लेने की जिम्मेदारी जीओएम को सौंप दी है। मंत्रालयों को क्या है एतराज वन व पर्यावरण मंत्रालय को इस नीति के तहत बनने वाले राष्ट्रीय निवेश एवं मैन्युफैक्चरिंग जोन (एनआइएमजेड) में लगने वाली इकाइयों को पर्यावरण मंजूरी की जरूरत के मुद्दे पर आपत्ति है। इस नीति में प्रस्ताव किया गया है कि एनआइएमजेड में लगने वाली यूनिटों में केवल खतरनाक उद्योगों से जुड़ी इकाइयों को ही पर्यावरण मंजूरी की आवश्यकता पड़ेगी। बाकी क्षेत्रों की इकाइयां इस जोन में बिना पर्यावरण मंजूरी के उद्योग लगा सकेंगी। पर्यावरण मंत्रालय का मानना है कि सभी तरह के उद्योगों को पर्यावरण मंजूरी की जरूरत होनी चाहिए। श्रम मंत्रालय ने नीति में प्रस्तावित लघु व मध्यम श्रेणी के उद्योगों में भविष्य निधि, मेडिक्लेम और बीमा की जिम्मेदारी किसी एक कंपनी को सौंपने पर एतराज जताया है। मंत्रालय का तर्क है कि इससे कर्मचारियों की बचत पर एक ही कंपनी का एकाधिकार हो जाएगा, जिसका खामियाजा कर्मचारियों को भुगतना पड़ेगा। कौन-कौन होगा जीओएम में सूत्रों के मुताबिक, मैन्युफैक्चरिंग नीति पर गठित होने वाले इस मंत्रिसमूह में पवार के अलावा जयंती नटराजन, मल्लिकार्जुन खड़गे, आनंद शर्मा, कानून मंत्री सलमान खुर्शीद और सूक्ष्म, लघु व मध्यम उद्योग मंत्री वीरभद्र सिंह को सदस्य बनाया गया है। अभी इस जीओएम की अधिसूचना जारी नहीं हुई है, लेकिन प्रधानमंत्री ने अमेरिका यात्रा पर जाने से पहले इसके गठन को मंजूरी दे दी है

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