Wednesday, May 18, 2011

भारत जैसे देशों पर निर्भर होगी दुनिया की रफ्तार


अगले 15 बरसों में दुनिया की आर्थिक तस्वीर बहुत ज्यादा बदल जाएगी। वर्ष 2025 तक विश्व के विकास की रफ्तार का दारोमदार भारत जैसे छह प्रमुख विकासशील देशों के हाथ में होगा। विश्व बैंक की ताजा रिपोर्ट में दुनिया की कुछ ऐसी ही तस्वीर पेश की गई है। इसके मुताबिक, विश्व के ये छह देश (भारत, चीन, ब्राजील, इंडोनेशिया, दक्षिण कोरिया और रूस) वर्ष 2011 से 2025 के बीच 4.7 फीसदी की औसत सालाना रफ्तार से बढे़ंगे। भारत-चीन की मौजूदा विकास दर 9 फीसदी के करीब है। विश्व बैंक ने ग्लोबल डेवलपमेंट होराइजंस 2011- मल्टी पोलरिटी: द न्यू ग्लोबल इकोनॉमी नाम की यह रिपोर्ट मंगलवार को जारी की। इसमें कहा गया है कि इन छह सफल अर्थव्यवस्थाओं के उलट यूरो क्षेत्र, जापान, ब्रिटेन और अमेरिका की सालाना विकास दर औसतन 2.3 फीसदी से ज्यादा नहीं होगी। साथ ही यह संभव है कि उस वक्त तक अंतरराष्ट्रीय मौद्रिक प्रणाली में किसी एक मुद्रा यानी डॉलर का वर्चस्व समाप्त हो जाए। इसकी ज्यादा संभावना है कि वर्ष 2025 तक डॉलर के साथ यूरो और युआन के ईद-गिर्द विश्व की मौद्रिक प्रणाली घूमे। विकासशील देशों में निवेश तेजी के साथ बढ़ने से इन मुल्कों की बहुराष्ट्रीय कंपनियां ग्लोबल उद्योगों को नई शक्ल देने वाली ताकत बनकर उभरी हैं। ऐसे में अंतरराष्ट्रीय वित्तीय संस्थानों को नई परिस्थितियों के मुताबिक ढालना होगा। विश्व बैंक के प्रमुख अर्थशास्त्री व वरिष्ठ उपाध्यक्ष जस्टिन ईफू लिन ने कहा कि भारत जैसी अर्थव्यवस्थाओं के तेजी से उभरने से दुनिया के आर्थिक विकास का केंद्र भी अब एक क्षेत्र में केंद्रित नहीं रह गया है। यह विकसित और विकासशील अर्थव्यवस्था में फैल गया है। यह सचमुच बहुध्रुवीय दुनिया हो गई है। रिपोर्ट में विकासशील देशों के लिए अगले 20 वषरें के दौरान बहुधु्रवीय दुनिया में आने वाली चुनौतियों को भी रेखांकित किया गया है। इन देशों में बड़े स्तर पर मध्य वर्ग के उभरने और युवा आबादी में तेज बढ़ोतरी के चलते मांग मजबूत बनी रहने की संभावना है। इससे दुनिया सतत विकास का रास्ता तय कर सकेगी।


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