Wednesday, March 14, 2012

जरूरत और जेब के बीच झूलता रक्षा क्षेत्र का बजट


आर्थिक मंदी के अपशकुनों ने रक्षा सेनाओं की पेशानी पर भी परेशानी की लकीरें बढ़ा दी हैं। तेजी से बढ़ती आधुनिक अस्त्र-शस्त्रों व रक्षा इंतजामों की जरूरत और फैसलों की सुस्त चाल के बीच आधुनिकीकरण की रफ्तार को साधना चुनौती बनता जा रहा है। ऐसे में जब पड़ोसी चीन का सैनिक खर्च सौ अरब डॉलर के पार पहुंचा गया है तो खजाने की खस्ता हालत के बीच भारत के लिए अपने रक्षा बजट को 40 अरब डॉलर (दो लाख करोड़ रुपये) तक पहुंचाना भी परीक्षा है। रक्षा जानकारों के मुताबिक वित्त वर्ष 2012-13 के बजट में 10 फीसदी से ज्यादा की बढ़ोतरी मुश्किल नजर आ रही है। अगले सप्ताह 16 मार्च को पेश होने वाले आम बजट में सेनाओं की नजर रक्षा बजट के पूंजी मद में मिलने वाली राशि पर होगी। इसमें होने वाली बढ़ोतरी ही सेना के रक्षा सौदों की नियति तय करेगी। रक्षा थिंक टैंक आइडीएसए के विशेषज्ञ लक्ष्मण बेहुरा कहते हैं कि भारतीय सेनाओं के आधुनिकीकरण की प्रक्रिया ऐसे नाजुक मोड़ पर है जहां उसे मजबूत आर्थिक सहायता की जरूरत है। ऐसे में अपेक्षा है कि रक्षा बजट में 15 फीसदी का इजाफा किया जाए, लेकिन अर्थव्यवस्था की सेहत फिलहाल इस हौंसले के साथ खड़ी नहीं दिखाई दे रही। संकेत हैं कि रक्षा बजट में नई खरीद जरूरतों को पूरा करने के लिए 35 फीसदी से अधिक धनराशि मिलना कठिन है। बजट पूर्व तैयारियों में इस बाबत सरकार की उलझनों के संकेत नजर आने लगे थे। सूत्रों के मुताबिक सेनाओं को अपनी जरूरतों की प्राथमिकताएं बनाने को कहा गया है, ताकि सबसे महत्वपूर्ण आवश्यकता को तवज्जो मिल सके। वैसे, किसी भी फौज के लिए यह तय करना मुश्किल है कि वह अपनी तोपों के लिए गोला-बारूद की जरूरत को तरजीह दे या नई तोप की दरकार को प्राथमिकता बताए। वहीं रक्षा बजट के इस्तेमाल के रिकॉर्ड में सुधार की कोशिशों के बावजूद निर्णय प्रक्रिया की रफ्तार रक्षा मंत्रालय पर कई सवाल खड़े करती है। इसका असर वित्त मंत्री की बजट-बांट में नजर आ सकता है। रक्षा विशेषज्ञ सी उदय भास्कर कहते हैं कि करीब चार साल पहले भारत ने रक्षा बजट के लिए 1,05,600 करोड़ रुपये (26 अरब डॉलर) का प्रावधान किया था। इस दौरान चीन का रक्षा बजट 57 अरब डॉलर था। नए वित्त वर्ष के लिए चीन अपने रक्षा बजट को 106 अरब डॉलर तक पहुंचा चुका है। जबकि भारतीय रक्षा बजट के लिए दो लाख करोड़ रुपये (40 अरब डॉलर) का आंकड़ा पार करना मुश्किल नजर आ रहा है। वर्ष 2011-12 में देश का रक्षा बजट 1,64,415 करोड़ रुपये था। यह 2010-11 के 1,47,344 करोड़ रुपये के रक्षा बजट के मुकाबले लगभग 17 हजार करोड़ (करीब 10 प्रतिशत) ज्यादा था। इसमें 69 हजार करोड़ रुपये नए हथियार, रक्षा उपकरण और साजोसामान खरीदने के लिए दिए गए थे।

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