Wednesday, March 14, 2012

ग्लोबल संकट से घबराया ड्रैगन


वर्ष 2008 और 2009 की भयानक मंदी में भी दुनिया को विकास का दम दिखाने वाला ड्रैगन अब पस्त पड़ने लगा है। ताजा वैश्विक आर्थिक संकट के चलते यूरोप और अमेरिका में मांग घटने से दुनिया की इस दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था की घबराहट बढ़ गई है। निर्यात में लगातार कमी को देखते हुए चीन ने वर्ष 2012 के लिए सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर अनुमान को घटाकर 7.5 फीसदी कर दिया है। अर्थव्यवस्था की विकास दर का यह अनुमान पिछले आठ साल में सबसे कम है। इन आठ सालों में ड्रैगन ने हमेशा आठ फीसदी विकास दर का लक्ष्य रखा था मगर हर साल वृद्धि दर लक्ष्य से कहीं ज्यादा रही थी। प्रधानमंत्री वेन जिआबाओ द्वारा चीन की संसद नेशनल पीपुल्स कांग्रेस में सोमवार को पेश सरकार के कामकाज की सलाना रिपोर्ट में आर्थिक वृद्धि के अनुमान को कम किया गया है। दरअसल, चीन की अर्थव्यवस्था निर्यात आधारित है। ग्लोबल स्तर पर नरमी के कारण देश के निर्यात पर असर पड़ रहा है। रिपोर्ट पेश करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि आर्थिक वृद्धि को ज्यादा टिकाऊ और दक्ष बनाने की जरूरत है ताकि लंबे समय तक उच्च स्तरीय और उच्च गुणवत्ता का विकास हासिल किया जा सके। इस दौरान ढांचागत समस्याओं और असंतुलित विकास में सुधार के भी कदम उठाए जाएंगे। इस साल राजस्व घाटे में भी बढ़ोतरी का वेन ने अनुमान जताया है। वर्ष 2011 के 1.1 फीसदी के मुकाबले वर्ष 2012 में राजस्व घाटा जीडीपी का 1.5 फीसदी रहने का अनुमान है। वेन इस साल के अंत में सेवानिवृत्त हो रहे हैं। जबकि राष्ट्रपति हू जिंताओ अगले साल सेवानिवृत्त होंगे। वेन ने कहा कि सरकार विकास दर को रफ्तार देने के लिए नीतियों में सुधार करेगी ताकि घरेलू उपभोक्ता मांग को बढ़ाया जा सके। इसके लिए निम्न और मध्यम वर्ग की आमदनी बढ़ाने की कोशिश की जाएगी। अभी तक चीन का ध्यान निर्यात बढ़ाने पर ही रहा है। अब वह घरेलू उद्योग की समस्याओं को सुलझाने और ढांचागत विकास में तेजी लाने की योजना पर काम कर रहा है ताकि किसानों और मजदूरों की आमदनी में बढ़ोतरी हो। इससे पहले चीन ने 12वीं पंचवर्षीय योजना (2011-15) के दौरान आर्थिक वृद्धि सात फीसदी रहने का अनुमान जताया था। चीन की विकास दर 2011 में 9.2 फीसदी की दर से बढ़कर 7,490 अरब डॉलर रही है। जबकि 2010 में आर्थिक वृद्धि दर 10.3 फीसदी रही थी। पिछले वर्ष की चौथी तिमाही में वृद्धि दर 8.9 फीसदी रही जो सालाना आधार पर पिछली 10 तिमाही में सबसे कम है।

No comments:

Post a Comment