Wednesday, February 29, 2012

दो साल की तलहटी पर विकास दर


अर्थव्यवस्था की रफ्तार दो साल की तलहटी पर पहुंच गई है। चालू वित्त वर्ष 2011-12 की तीसरी तिमाही में आर्थिक विकास दर 6.1 प्रतिशत रही है। खनन, मैन्युफैक्चरिंग और कृषि क्षेत्र के बुरे हाल ने सरकार की दिक्कतें बढ़ा दी हैं। बजट से ठीक पहले आए अर्थव्यवस्था के इस आंकड़े ने वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी पर घाटे और विकास के बीच संतुलन बिठाने का दबाव और बढ़ा दिया है। पिछले वित्त वर्ष की इसी अवधि में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर 8.3 प्रतिशत रही थी। अर्थव्यवस्था की रफ्तार के बुधवार को आए आंकड़ों से साफ हो गया है कि चालू वित्त वर्ष में विकास की दर 6.9 प्रतिशत के अनुमान से भी कम रहेगी। यही नहीं सरकार को अगले वित्त वर्ष में रफ्तार बढ़ाने के लिए उपाय भी अभी से करने होंगे। ताजा आंकड़ों के बाद वित्त मंत्री पर बजट में अर्थव्यवस्था को प्रोत्साहन देने के प्रावधान करने का दबाव बढ़ जाएगा। साथ ही रिजर्व बैंक भी अप्रैल में अपनी मौद्रिक नीति में ब्याज दरों में कमी का सिलसिला शुरू कर सकता है। तीसरी तिमाही में विकास दर घटने की प्रमुख वजह खनन, मैन्युफैक्चरिंग और कृषि क्षेत्र की धीमी रफ्तार रही। मैन्युफैक्चरिंग क्षेत्र की वृद्धि दर मात्र 0.4 प्रतिशत रही, जबकि खनन क्षेत्र का उत्पादन तो पिछले साल की समान अवधि के मुकाबले 3.1 प्रतिशत घट गया। कृषि क्षेत्र की वृद्धि दर 2.7 प्रतिशत पर ही सिमट गई है। महंगाई और ऊंची ब्याज दरों के चलते चालू वित्त वर्ष में औद्योगिक उत्पादन की स्थिति शुरू से ही डावांडोल रही। तीसरी तिमाही की शुरुआत ही औद्योगिक उत्पादन में गिरावट से हुई थी। अक्टूबर, 2011 में तो औद्योगिक उत्पादन की विकास दर शून्य से 5.1 प्रतिशत नीचे चली गई थी। उसके बाद से इसकी हालत में कुछ सुधार तो हुआ है, लेकिन अभी भी यह पिछले साल की रफ्तार के मुकाबले काफी धीमा है। इसी महीने केंद्रीय सांख्यिकी संगठन ने चौथी तिमाही में जीडीपी के अनुमानित आंकड़े जारी किए थे। उनके मुताबिक जीडीपी की विकास दर 6.9 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया गया था। मंगलवार को जारी आठ बुनियादी उद्योगों के जनवरी के आंकड़े के मुताबिक इस क्षेत्र वृद्धि दर मात्र 0.5 प्रतिशत रह गई है। इसका मतलब यह हुआ कि चौथी तिमाही में भी उद्योगों के उत्पादन में सुधार की उम्मीद नहीं है। माना जा रहा है कि इसका असर अगली तिमाही की विकास दर पर भी पड़ेगा। चालू वित्त वर्ष की पहली तीन तिमाही की औसत विकास दर 6.9 प्रतिशत पर रही है। इस अवधि में भी मैन्युफैक्चरिंग और खनन का हाल सबसे ज्यादा खराब है। पिछले वित्त वर्ष में

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