Wednesday, February 15, 2012

महंगाई 26 महीने के निचले स्तर पर


खाने-पीने की चीजों के थोक दाम नीचे आने से सरकार राहत में तो है, लेकिन अभी इससे संतुष्ट नहीं है। जनवरी में थोक मूल्यों पर आधारित महंगाई की दर सात प्रतिशत से भी नीचे उतर आई है। मंगलवार को जारी ताजा सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, यह दर पिछले 26 महीने के निचले स्तर 6.55 फीसदी पर आ गई है। वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी ने अगले कुछ महीनों में इसके और नीचे आने की उम्मीद जताई है। जनवरी में खाद्य उत्पादों के दाम नीचे आने से महंगाई की सामान्य दर में आई इस गिरावट से माना जा रहा है कि रिजर्व बैंक ब्याज दरों में कमी का सिलसिला शुरू कर सकता है। वित्त मंत्री ने उम्मीद जताई है कि महंगाई की दर घटते हुए मार्च की समाप्ति तक छह प्रतिशत रह जाएगी। अभी भी स्वीकार्य स्तर पर नहीं है। इससे पहले मार्च अंत तक महंगाई की दर सात प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया गया था। थोक मूल्य सूचकांक पर आधारित महंगाई की दर दिसंबर, 2011 में 7.47 प्रतिशत पर थी। पिछले साल जनवरी के महीने में यह 9.47 प्रतिशत दर्ज की गई। महंगाई के ताजा आंकड़े नवंबर, 2009 के बाद सबसे कम हैं। जनवरी में महंगाई की दर को नीचे लाने में सब्जियों के साथ-साथ आलू और प्याज की मुख्य भूमिका रही। इस अवधि में खाद्य उत्पादों की महंगाई की दर शून्य से 0.52 प्रतिशत नीचे रही। बहरहाल, मैन्युफैक्चरिंग उत्पादों को लेकर अभी भी चिंता बनी हुई है। थोक मूल्य सूचकांक में ऐसी वस्तुओं का 65 प्रतिशत तक भारांश है। साल दर साल आधार पर मैन्युफैक्चरिंग उत्पादों की मुद्रास्फीति जनवरी में 6.49 प्रतिशत रही है, पिछले महीने यह 7.41 प्रतिशत रही थी। जनवरी में पिछले साल की इसी अवधि के मुकाबले सब्जियों की कीमतों में 43.13 प्रतिशत की गिरावट आई है। थोक में आलू 23.15 और प्याज 75.57 प्रतिशत सस्ते हुए हैं। गेहूं के दामों में भी पिछले साल के मुकाबले 3.48 प्रतिशत की कमी आई है। वैसे, खाद्य तेल और दूध के ऊंचे दामों को लेकर सरकार की चिंता अभी दूर नहीं हुई है। वित्त मंत्री ने कहा, आने वाले समय में खाद्य तेल और दूध के दामों में तेजी खाद्य महंगाई के सामने सबसे बड़ा खतरा बनी रहेगी। मीट, अंडा तथा अन्य प्रोटीन उत्पादों से भी खाद्य महंगाई की दर के समक्ष जोखिम बरकरार है।

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