Monday, February 27, 2012

ज्यादा डरावनी है महंगाई की असली सूरत


सरकार ने मंगलवार को पहली बार राष्ट्रीय स्तर पर खुदरा कीमत आधारित महंगाई की तस्वीर पेश की है। इसके मुताबिक खुदरा कीमतों के आधार पर जनवरी, 2012 में महंगाई की दर 7.65 फीसदी रही है। इससे साफ है कि महंगाई की यह असली व सटीक तस्वीर ज्यादा डरावनी है। जनवरी, 2012 में थोक मूल्य सूचकांक आधारित महंगाई की दर 6.55 फीसदी थी। जानकारों का कहना है कि नए सूचकांक को देखते हुए केंद्रीय बैंक ब्याज दरों में कटौती करने को लेकर सतर्कता बरत सकता है। सांख्यिकी व कार्यक्रम क्रियान्वयन मंत्रालय की तरफ से जारी उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआइ) धीरे-धीरे मौजूदा थोक मूल्य सूचकांक (डब्ल्यूपीआइ) का स्थान ले लेगी। सरकार ने देश के लगभग 600 जिलों के 310 शहरी केंद्रों और 1181 गांवों से विभिन्न उत्पादों की खुदरा कीमतों को जुटाया है। यह प्रक्रिया पिछले एक साल से जारी थी। शहरों के 1114 बाजारों से कीमतें जुटाई गई हैं। इसके आधार पर यह सूचकांक तैयार किया गया है। देश की प्रमुख रेटिंग एजेंसी इकरा की अर्थशास्त्री अदिति नायर मानती हैं कि महंगाई में बहुत सुधार नहीं हुआ है। ऐसे में रिजर्व बैंक उम्मीदों को धता बताते हुए रेपो दर कौ मौजूदा स्तर पर ही बनाए रखेगा। इस दर के आधार पर बैंक आरबीआइ से छोटी अवधि के कर्ज हासिल करते हैं। इसकी वजह से रेपो के हिसाब से वे अपनी ब्याज दरें भी तय करते हैं। अन्य जानकारों ने भी कुछ ऐसी ही राय जताई है। थोक मूल्य सूचकांक आधारित महंगाई दर के सात फीसदी से नीचे आने के बाद केंद्रीय बैंक ने रेपो दर घटाने के संकेत दिए थे। मगर खुदरा बाजार के ये आंकड़े बताते हैं कि अर्थव्यवस्था में मांग अभी भी तेज बनी हुई है। साथ ही आने वाले दिनों में महंगे क्रूड का असर भी देश की महंगाई पर नजर आएगा। गांव में अनाज व दूध शहर से महंगे! खुदरा महंगाई के इन आंकड़ों से कई दिलचस्प निष्कर्ष भी सामने आए हैं। इनके मुताबिक, ग्रामीण जनता मोटे अनाजों के लिए शहरों की तुलना में चार गुना ज्यादा कीमत अदा कर रही है। इस साल जनवरी में ग्रामीण इलाकों में अनाजों की खुदरा कीमतों में 3.44 फीसदी की वृद्धि हुई है। शहरों में यह वृद्धि महज 0.79 फीसदी की रही है। इसी तरह ग्रामीण क्षेत्र में दाल, अंडा, दूध, चीनी, ईंधन वगैरह में महंगाई गांवों में ज्यादा रही है। वैसे, तेल, कपड़े, जूते, सब्जियों में शहरों में ज्यादा महंगाई रही है। समग्र तौर पर जनवरी, 2012 में महंगाई की दर 7.65 रही है। शहरों में सीपीआइ आधारित महंगाई की दर 8.25 और ग्रामीण इलाकों में 7.38 फीसदी रही है। मेघालय सबसे महंगा राज्य इन आंकड़ों से पहली बार यह पता चला कि राज्यों में महंगाई की स्थिति क्या है। जनवरी की बात करें तो सबसे ज्यादा महंगाई मेघालय में देखी गई है। दूसरे स्थान पर कर्नाटक और तीसरे स्थान पर केरल रहा है। इसके बाद गुजरात और तमिलनाडु संयुक्त तौर पर पांचवे स्थान पर हैं। महंगाई के मामले में जम्मू-कश्मीर का स्थान इसके बाद आया है। डब्ल्यूपीआइ से कितनी जुदा दुनिया के अधिकतर देशों में खुदरा मूल्य सूचकांक को ही आधार माना जाता है। देश में लागू मौजूदा थोक मूल्य सूचकांक में खाद्य उत्पादों का हिस्सा महज 14.3 फीसदी है। वहीं, सीपीआइ में इनकी हिस्सेदारी 45 फीसदी से ज्यादा है। साथ ही डब्ल्यूपीआइ में स्वास्थ्य, शिक्षा जैसे कई सेवा क्षेत्र शामिल नहीं हैं, जबकि इन पर आम जनता काफी खर्च करती है। नए सूचकांक में सेवाओं को भी महत्वपूर्ण स्थान दिया गया है।

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