Monday, February 27, 2012

अगले साल भी धीमी रहेगी विकास की रफ्तार


अगले वित्त वर्ष 2012-13 में भी सरकार को आर्थिक विकास दर नौ प्रतिशत रहने की उम्मीद नहीं है। प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद (पीएमईएसी) का मानना है कि अगले वित्त वर्ष में भी सकल घरेलू उत्पाद यानी जीडीपी की वृद्धि दर में तेज बढ़त की उम्मीद नहीं है। इसके 7.5 प्रतिशत से आठ प्रतिशत के बीच रहने की उम्मीद है। परिषद ने अर्थव्यवस्था की समीक्षा में सरकार को राजकोषीय स्थिति मजबूत बनाने के लिए पेट्रोलियम सब्सिडी पर अंकुश लगाने की सलाह दी है। परिषद ने चालू वित्त वर्ष के लिए सरकार के 6.9 प्रतिशत जीडीपी विकास दर के अनुमान में वृद्धि कर दी है। परिषद के मुताबिक चालू वित्त वर्ष 2011-12 विकास दर 7.1 प्रतिशत रहने का अनुमान है। परिषद ने इससे पहले जुलाई, 2011 में 8.2 प्रतिशत विकास दर का अनुमान लगाया था। बीते वित्त वर्ष में अर्थव्यवस्था की रफ्तार 8.4 प्रतिशत रही थी। जहां तक कृषि क्षेत्र का सवाल है, परिषद ने चालू वित्त वर्ष में तीन प्रतिशत विकास दर का अनुमान लगाया है। केंद्रीय सांख्यिकी संगठन के पूर्वानुमानों में कृषि विकास दर 2.5 प्रतिशत रहने की बात कही गई थी। बुधवार को अर्थव्यवस्था की धीमी रफ्तार के आंकड़े देते हुए परिषद के चेयरमैन डॉ सी रंगराजन ने कहा कि अगले वित्त वर्ष में महंगाई की दर भी नीचे बनी रह सकती है। परिषद ने इसके पांच से छह प्रतिशत के दायरे में रहने का अनुमान लगाया है। इसके बावजूद पीएमईएसी ने सरकार को खाद्य पदार्थो के दाम पर सख्त निगरानी रखे जाने की सलाह दी है। परिषद ने कहा है कि कृषि उत्पादन बढ़ाने के साथ खाद्यान्नों, फल, सब्जियों और दुग्ध उत्पादों की आसान आपूर्ति के लिए मजबूत आधारभूत ढांचा खड़ा करने पर ध्यान दिया जाना चाहिए। रंगराजन ने उर्वरक और पेट्रोलियम पदार्थो की बढ़ती सब्सिडी पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा, हमें उर्वरक और पेट्रोलियम सब्सिडी के क्षेत्र में सुधारों पर आगे बढ़ना चाहिए। डीजल मूल्य को चरणबद्ध ढंग से नियंत्रणमुक्त करने और एलपीजी व केरोसीन के मामले में भी विभिन्न रिपोर्टो में जो सुझाव दिए गए हैं, उन पर बातचीत आगे बढ़नी चाहिए। रंगराजन ने यहां परिषद की वर्ष 2011-12 की आर्थिक समीक्षा जारी करते हुए कहा कि चालू वित्त वर्ष में राजकोषीय घाटा 4.6 प्रतिशत के बजट अनुमान से अधिक होगा। सुस्त होती अर्थव्यवस्था की रफ्तार में सुधार के बारे में पूछे जाने पर रंगराजन ने सरकार को कर सुधारों के क्षेत्र में आगे बढ़ने की सलाह दी। कर प्रशासन को बेहतर बनाने के साथ साथ कर दरों को वापस वैश्विक संकट पूर्व की स्थिति में लाने की संभावनाएं हैं। समीक्षा में कहा गया है कि वर्ष के दौरान वैश्विक आर्थिक और वित्तीय स्थिति पर दबाव बना रहेगा। वर्ष 2011-12 में चावल, गेहूं, फल, सब्जियों और पशुपालन क्षेत्र में मजबूत वृद्धि को देखते हुए कृषि क्षेत्र की वृद्धि तीन प्रतिशत रहेगी। कोयला उत्पादन घटने, लौह अयस्क उत्पादन पर प्रतिबंध व प्राकृतिक गैस उत्पादन में कमी और कच्चे तेल का उत्पादन घटने से खान एवं उत्खनन क्षेत्र में वर्ष के दौरान गिरावट का रुख रहने का अनुमान है।

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