Monday, February 27, 2012

किसानों को मिलेगा ज्यादा कर्ज


आने वाले दिनों में देश के सभी बैंकों की तरफ से वितरित कुल कर्ज का नौ फीसदी हिस्सा छोटे व सीमांत किसानों को देने की व्यवस्था लागू की जा सकती है। इसके साथ ही सात फीसदी बैंकिंग कर्ज बेहद छोटी औद्योगिक इकाइयों को दिया जाएगा। प्राथमिक क्षेत्र को कर्ज देने संबंधी मौजूदा नियम में बदलाव करने के समय रिजर्व बैंक (आरबीआइ) इन प्रावधानों को लागू कर सकता है। रिजर्व बैंक ने पिछले वर्ष बैंकों की तरफ से वितरित होने वाले प्राथमिक क्षेत्र को कर्ज देने के मौजूदा नियम में बदलाव के लिए नायर समिति गठित की थी। समिति ने मंगलवार को अपने आरंभिक सुझाव केंद्रीय बैंक को दे दिए हैं। माना जा रहा है कि अगले वित्त वर्ष 2012-13 से नए नियम लागू कर दिए जाएंगे। समिति ने 25 लाख रुपये तक के होम लोन, ग्रामीण इलाकों में आवास मरम्मत के लिए दो लाख रुपये तक के कर्जे व शहरी इलाकों में इस उद्देश्य से पांच लाख रुपये तक के ऋण कर्ज को भी प्राथमिक क्षेत्र में रखने का सुझाव दिया है। समिति ने कहा है कि देश की बहुत बड़ी आबादी तक बैंक नहीं पहुंच पाए हैं। इन तक बैंकिंग सेवा के पहुंचे बगैर आर्थिक विकास नहीं हो सकता है। समिति का कहना है कि कुल वितरित कर्ज का 18 फीसदी कृषि क्षेत्र को मिलना चाहिए। इसमें छोटे व सीमांत किसानों को ज्यादा महत्व दिया जाना चाहिए। यही वजह है कि नौ फीसदी बैंकिंग कर्ज इन किसानों को देने की सिफारिश की गई है। इस व्यवस्था को वर्ष 2015-16 तक लागू करने की बात कही गई है। इसी तरह से वर्ष 2013-14 तक सात फीसदी बैंकिंग कर्ज बेहद छोटे औद्योगिक इकाइयों को देने का सुझाव दिया गया है। विदेश में शिक्षा के लिए 25 लाख रुपये के कर्ज को प्राथमिक क्षेत्र में मानने की सिफारिश की गई है। अभी यह सीमा 20 लाख रुपये की है। घरेलू शिक्षा के लिए 15 लाख रुपये की सीमा तय की गई है।

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