Tuesday, February 14, 2012

कारखाने बने सुस्ती के शिकार


औद्योगिक उत्पादन की घटती रफ्तार से सरकार की परेशानी बढ़ती जा रही है। बीते साल दिसंबर में औद्योगिक उत्पादन सिर्फ 1.8 प्रतिशत की दर से ही बढ़ सका। दिसंबर, 2010 में इसकी रफ्तार 8.1 प्रतिशत थी। उत्पादन वृद्धि दर नीचे आने की मुख्य वजह खनन और पूंजीगत सामान (कैपिटल गुड्स) क्षेत्र में उत्पादन घटना रहा। इससे पहले इसी हफ्ते केंद्रीय सांख्यिकी संगठन (सीएसओ) ने अनुमान लगाया था कि देश की आर्थिक विकास दर चालू वित्त वर्ष 2011-12 में 6.9 प्रतिशत रहेगी। बीते वित्त वर्ष में यह दर 8.4 प्रतिशत थी। सरकार ने दिसंबर, 2011 के औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (आइआइपी) के आंकड़े शुक्रवार को जारी किए। इनके मुताबिक, समीक्षाधीन माह के दौरान मैन्युफैक्चरिंग क्षेत्र के उत्पादन में भी 1.8 प्रतिशत की बढ़त हुई। इसके मुकाबले दिसंबर, 2010 में इस क्षेत्र की वृद्धि दर 8.7 प्रतिशत थी। आइआइपी में इस क्षेत्र का योगदान 75 प्रतिशत है। पिछले कुछ महीनों की तरह खनन क्षेत्र का उत्पादन दिसंबर में भी धीमा ही रहा। बीते वित्त वर्ष की समान अवधि के मुकाबले इसमें 3.7 प्रतिशत की गिरावट आई। साल भर पहले इसी दौरान इस क्षेत्र में 5.9 फीसदी वृद्धि दर्ज हुई थी। दूसरी तरफ बिजली उत्पादन में 9.1 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई। इससे पिछले साल की समान अवधि में इसकी वृद्धि दर 5.9 प्रतिशत थी। मैन्युफैक्चरिंग क्षेत्र में मशीन उपकरण बनाने वाले पूंजीगत उद्योग क्षेत्र के उत्पादन में 16.5 प्रतिशत की बड़ी गिरावट दर्ज की गई। इन उत्पादों का आयात बढ़ना भी इसकी एक वजह हो सकता है। वैसे, इस अवधि में 22 प्रकार के उद्योग समूहों में से 15 में वृद्धि दर्ज हुई। चालू वित्त वर्ष 2011-12 में अप्रैल से दिसंबर की तीन तिमाहियों में औद्योगिक उत्पादन की वृद्धि दर 3.6 प्रतिशत रही। बीते वित्त वर्ष की समान अवधि में यह 8.3 प्रतिशत थी। सरकार ने नवंबर, 2011 के आइआइपी में संशोधन किया है। इससे उस महीने की औद्योगिक वृद्धि दर 5.94 प्रतिशत हो गई। प्रारंभिक आंकड़ों में इसे 5.9 प्रतिशत बताया गया था। दिसंबर, 2011 के दौरान कुल मिलाकर उपभोक्ता वस्तुओं (कंज्यूमर गुड्स) के उत्पादन में 10 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई। उपभोक्ता वस्तुओं में टिकाऊ उपभोक्ता उत्पादों (कंज्यूमर ड्यूरेबल) का उत्पादन 5.3 प्रतिशत बढ़ा। इसी तरह गैर टिकाऊ उपभोक्ता उत्पादों (एफएमसीजी) का उत्पादन 13.4 प्रतिशत की दर से बढ़ा।

No comments:

Post a Comment