Monday, July 18, 2011

कर संग्रह का बढ़ेगा लक्ष्य

घटती आमदनी से चिंतित केंद्र सरकार अब राजस्व संग्रह बढ़ाने पर जोर दे रही है। इसके लिए चालू वित्त वर्ष में अप्रत्यक्ष और प्रत्यक्ष कर संग्रह के लक्ष्य को 10 फीसदी तक बढ़ाने की सरकार की योजना है। वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी ने शनिवार को केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) और केंद्रीय उत्पाद एवं सीमा शुल्क बोर्ड (सीबीईसी) से कर संग्रह लक्ष्य बढ़ाने को कहा है। सीबीडीटी और सीबीईसी के अधिकारियों से मुलाकात के बाद मुखर्जी ने कहा कि कर संग्रह लक्ष्य 10 प्रतिशत बढ़ाए जाने की जरूरत है। सरकारी खजाने पर बढ़ते दबाव और सब्सिडी मांग को पूरा करने के लिए कर लक्ष्य बढ़ाए जा रहे हैं। दरअसल, सरकार ने चालू वित्त वर्ष में सार्वजनिक कंपनियों के विनिवेश से 40 हजार करोड़ रुपये जुटाने का लक्ष्य रखा था। मगर शेयर बाजार की उठा पटक के चलते कंपनियां पूंजी बाजार में उतरने से हिचक रही है। साथ ही पेट्रोलियम और उर्वरक सब्सिडी के मद में सरकार को बजटीय प्रावधान की तुलना में कहीं ज्यादा खर्च करना पड़ रहा है। इसे देखते हुए ही यह कदम उठाया जा रहा है। ब्याज दरों में लगातार वृद्धि से आर्थिक वृद्धि की रफ्तार धीमी पड़ने की आशंकाओं के बीच वित्त मंत्री का यह बयान काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है। एक ओर विश्व बाजार में कच्चे तेल और उपभोक्ता वस्तुओं के दाम उच्च स्तर पर बने हुए हैं, वहीं दूसरी तरफ घरेलू बाजार में भी सुस्ती की आशंका बढ़ रही है। सरकारी खजाने पर सब्सिडी बोझ बढ़ने और राजस्व उगाही कम रहने से राजकोषीय घाटा बढ़ने का दबाव है। चालू वित्त वर्ष में अप्रत्यक्ष करों से 3.97 लाख करोड़ रुपये और अप्रत्यक्ष कर संग्रह से 5.30 लाख करोड़ रुपये जुटाने का बजट लक्ष्य रखा गया है। इस राशि में 10 प्रतिशत वृद्धि से राजकोषीय घाटे को 4.6 प्रतिशत के बजटीय अनुमान के स्तर पर रखा जा सकेगा। वित्त मंत्री के साथ हुई इस बैठक में बैठक में सीबीडीटी और सीबीईसी अध्यक्ष के अलावा राजस्व सचिव और प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष कर विभाग के वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे। आम जनता पर पेट्रोलियम पदार्थो की मूल्यवृद्धि का असर कम करने के लिए वित्त मंत्रालय ने पिछले महीने कच्चे तेल के आयात पर लागू पांच प्रतिशत सीमा शुल्क पूरी तरह समाप्त कर दिया। पेट्रोल-डीजल पर भी इसे 7.5 से घटाकर 2.5 प्रतिशत कर दिया था। इसके अलावा डीजल पर उत्पाद शुल्क में भी कटौती की गई। इससे सरकारी खजाने को करीब 36,000 करोड़ रुपये के राजस्व का नुकसान होने का अनुमान है।

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