Saturday, July 16, 2011

साल में सिर्फ छह सिलेंडर पर मिलेगी सब्सिडी

ठ्ठजागरण ब्यूरो, नई दिल्ली पेट्रोल के बाद सरकार अब रसोई गैस की कीमत बाजार के हवाले करने जा रही है। अंतर बस यह होगा कि पेट्रोल की कीमत पूरी तरह से तेल कंपनियां तय कर करती हैं, जबकि रसोई गैस के मामले में सरकार एक सीमा के बाद ही यह छूट कंपनियों को देगी। मोटे तौर पर एक औसत परिवार को साल में अधिकतम छह सब्सिडी वाले एलपीजी सिलेंडर ही मिलेंगे। इससे ज्यादा सिलेंडर उन्हें बाजार मूल्य यानी 720 रुपये की कीमत पर खरीदने होंगे। वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी की अध्यक्षता में गठित मंत्रिसमूह (जीओएम) की अगले हफ्ते होने जा रही बैठक में इस बारे में फैसला होगा। मंत्रिसमूह के सामने पेट्रोलियम मंत्रालय की तरफ से तैयार किया गया एक रोडमैप पेश किया जाएगा। पेट्रोलियम मंत्रालय ने ग्राहकों के हाथों में सीधे नकद सब्सिडी पहुंचाने पर नंदन नीलेकणि समिति की सिफारिशों के आधार पर यह रोडमैप तैयार किया है। सरकार की मंशा अप्रैल, 2012 से पूरे देश में इस योजना को लागू करने की है। सूत्रों के मुताबिक , जीओएम इस बारे में अंतिम फैसला करेगा कि समाज के किस वर्ग को कितनी मात्रा में सब्सिडी वाले रसोई गैस सिलेंडर देने हैं। मसलन, अभी जो प्रस्ताव लाया जा रहा है, उसके मुताबिक एक निश्चित राशि से ज्यादा आय कर देने वालों, दोपहिया वाहन या कार रखने वालों और बड़े शहरों में खुद के मकान वालों को साल में सब्सिडी वाले चार से छह गैस सिलेंडर ही मिलेंगे। जबकि गरीबी रेखा के नीचे रहने वालों को सब्सिडी जारी रखने का इरादा है। इस बारे में फैसला जीओएम ही करेगा। पेट्रोलियम मंत्रालय को सिर्फ मंत्रिसमूह की हरी झंडी का इंतजार है। सरकारी तेल कंपनी इंडियन ऑयल ने इसे प्रायोगिक तौर पर आंध्र प्रदेश के हैदराबाद और कर्नाटक के मैसूर में लागू करने की पूरी तैयारी कर ली है। प्रायोगिक योजना सितंबर, 2011 से शुरू होगी। इस तरह अगले वित्त वर्ष 2012-13 की शुरुआत से देश के अधिकांश हिस्सों में योजना लागू हो जाएगी। सूत्रों का कहना है कि सब्सिडी वाले एलपीजी सिलेंडर की संख्या घटाने का फैसला दिल्ली सहित तमाम बड़े शहरों के 50 से 80 फीसदी परिवारों पर असर डालेगा। इन परिवारों को छह से ज्यादा एलपीजी सिलेंडर खरीदने के लिए मौजूदा दर के हिसाब से 720 रुपये देने पड़ सकते हैं। अभी दिल्ली में रसोई गैस सिलेंडर की कीमत 395 रुपये है। यानी तेल कंपनियों को 325 रुपये प्रति सिलेंडर का घाटा उठाना पड़ रहा है।

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