Monday, July 18, 2011

निर्यात की तेज रफ्तार पर शंका

पांच महीनों से भले ही निर्यात की रफ्तार काफी तेज हो मगर आगे भी इसके जारी रहने की संभावना कम ही। वाणिज्य सचिव राहुल खुल्लर ने चेतावनी दी है कि निर्यात में 40-45 प्रतिशत की ऊंची वृद्धि दर आने वाले महीनों में जारी नही रह सकेगी। पिछले पांच महीनों में निर्यात वृद्धि की औसत दर 40 प्रतिशत से ज्यादा रही है। मई में तो इसमें 57 प्रतिशत की जोरदार वृद्धि हुई। खुल्लर ने कहा कि हमें तीन चार महीने इंतजार करना होगा। वैश्विक अर्थव्यवस्था में फिलहाल सभी चीजें ठीक नहीं हैं। 40 प्रतिशत की वृद्धि कुछ समय का भ्रम है। यह पूरे साल जारी नहीं रहेगी। हालांकि उन्होंने कहा कि निर्यात में 20 प्रतिशत की दर से वृद्धि होती रहेगी और यह इससे कम नहीं होगी। 20 प्रतिशत से कम वृद्धि नहीं होने का कारण बताते हुए उन्होंने कहा कि भारत के कुछ उद्योग क्षेत्र बेहद प्रतिस्पर्धी हो गए हैं। बाजार में इनके बिना काम नहीं चल सकता। उन्होंने कहा कि चमड़ा, कपड़ा, कारपेट, इंजीनियरिंग और दवा क्षेत्र में निर्यात वृद्धि जारी रहेगी। इस साल अप्रैल-जून तिमाही में निर्यात 45.7 प्रतिशत बढ़कर 79 अरब डॉलर हो गया। निर्यात संव‌र्द्ध योजना ड्यूटी एंटाइटलमेंट पास बुक (डीईपीबी) के बारे में उन्होंने कहा कि 30 सितंबर को यह योजना समाप्त हो जाएगी और ड्यूटी ड्रॉबैक योजना लागू हो जाएगी। इस योजना का सबसे ज्यादा लाभ छोटे और मझोले उद्योगों को मिला है। क्षेत्रवार रूप में देखें तो इंजीनियरिंग और रसायन क्षेत्र को सबसे ज्यादा लाभ मिला है। मुद्रास्फीति के संबंध में खुल्लर ने कहा कि महंगाई में जल्द ही कमी आएगी। जब तक आपूर्ति में वृद्धि नहीं होती तब तक महंगाई पर नियंत्रण करना मुश्किल है। उन्होंने कहा कि कृषि क्षेत्र में बेहतर पैदावार होने पर महंगाई में कमी आएगी क्योंकि दूध, दूध से बने उत्पाद, अंडा और मछली जैसे उत्पादों की कीमतें बढ़ने से महंगाई का दबाव बढ़ा है। जून में महंगाई दर 9.44 प्रतिशत के ऊंचे स्तर पर पहुंच गई है।

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