Wednesday, May 23, 2012

साढ़े सात फीसदी विकास दर पाना मुश्किल


भारत के आर्थिक विकास को लेकर हाल तक बड़ी-बड़ी बातें कर रहे योजना आयोग के उपाध्यक्ष मोंटेक सिंह अहलूवालिया ने अचानक ही पलटी मार ली है। उन्होंने साफ कहा है कि फिसलते रुपये और बढ़ती महंगाई के चलते चालू वित्त वर्ष में साढ़े सात प्रतिशत की आर्थिक वृद्धि दर को हासिल कर पाना मुश्किल होगा। शुक्रवार को ही उन्होंने भारत को संभावनाओं का देश बताकर कहा था कि वह अगले दो दशक तक आठ से नौ फीसदी की दर से विकास करने में सक्षम है। मोंटेक ने केंद्र की ओर से नीतिगत निर्णयों को लेने में देरी की चिंताओं को खारिज कर दिया। उनके मुताबिक, सरकार की नीतियों की बदौलत ही पूर्व में देश 9 प्रतिशत से अधिक आर्थिक वृद्धि हासिल करने में सफल रहा। सरकार अपने एजेंडे पर काम कर रही है। वित्त मंत्रालय चालू वित्त वर्ष में 7.5 प्रतिशत की विकास दर की उम्मीद कर रहा है। यह मुश्किल है, लेकिन असंभव नहीं। पिछली तिमाही में आर्थिक वृद्धि मजबूत नहीं रही। वर्ष 2012-13 की पहली तिमाही में यह कैसी रहेगी, देखना बाकी है। रुपये में गिरावट, ऊंची मुद्रास्फीति और चालू खाते का घाटा जैसे कारण भारत को आठ से नौ प्रतिशत आर्थिक वृद्धि के रास्ते पर लौटने से रोक रहे हैं। रुपये की विनिमय दर में इस साल मार्च से अब तक 11 प्रतिशत की कमी आई है। अप्रैल में महंगाई की दर 7.23 प्रतिशत रही है। अर्थव्यवस्था को ऊंची विकास दर के रास्ते पर लाने के लिए सरकार कड़े निर्णय लेगी? इस सवाल के जवाब में अहलूवालिया का कहना था कि उन्हें ऐसी उम्मीद है। दुनिया में जहां उथल-पुथल है, भारत एक प्रमुख निवेश गंतव्य हो सकता है। इस मौके को गंवाना नहीं चाहिए।

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