Monday, May 28, 2012

पब्लिक पर गिरा पेट्रोल बम


संसद का बजट सत्र समाप्त होने के अगले ही दिन तेल कंपनियों ने पेट्रोल के दाम 7.54 रुपए लीटर बढ़ा दिए हैं। एक ही झटके में की जाने वाली यह अब तक की सबसे बड़ी वृद्धि है। डालर के मुकाबले रुपए की विनिमय दर में भारी गिरावट और तेल कंपनियों को हो रहे भारी नुकसान को देखते हुए यह वृद्धि जरूरी हो गई थी। हालांकि संप्रग सरकार के सहयोगी दलों ने इस वृद्धि पर नाराजगी जताते हुए इसे वापस लेने की मांग की है। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने संप्रग सरकार के तीन वर्ष का कार्यकाल पूरा होने के मौके पर मंगलवार को अर्थव्यवस्था के समक्ष खड़ी चुनौतियों से निपटने के लिए कड़े फैसले लेने पर जोर दिया था। इसके अगले ही दिन आज पेट्रोल के दाम बढ़ा दिए गए। दिल्ली में पेट्रोल की कीमत मध्य रात्रि से 7.54 रुपए बढ़कर 73.18 रुपए प्रति लीटर हो गई है। मुंबई में यह 78.57, कोलकाता में 77.88 तथा चेन्नई में 77.53 रुपए प्रति लीटर हो गई। यह मूल्य वृद्धि अबतक की सबसे ऊंची मूल्य वृद्धि है। इससे पहले तेल कंपनियों ने पेट्रोल के दाम में अधिकतम 5 रुपए की वृद्धि की थी। सरकार के सहयोगी दलों तृणमूल कांग्रेस, द्रमुक और बाहर से समर्थन देने वाली समाजवादी पार्टी ने मूल्य वृद्धि का विरोध करते हुए इसे वापस लेने की मांग की है। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री और तृणमूल कांग्रेस की प्रमुख ममता बनर्जी ने इस वृद्धि को अनुचित और एकतरफा बताया। हालांकि उन्होंने कहा कि इस बात को लेकर वह सरकार के समक्ष कोई संकट खड़ा नहीं करेंगी।द्रमुक प्रमुख करुणानिधि ने भी कहा कि उनके सांसद इस मूल्य वृद्धि को वापस लेने की मांग सरकार के समक्ष रखेंगे। प्रमुख विपक्षी दल भाजपा समेत वामपंथी दलों ने भी तेल कीमत में वृद्धि पर विरोध जताया है। विशेषज्ञों का कहना है कि पेट्रोल के दाम बढ़ने से दीर्घकाल में महंगाई पर कोई असर नहीं होगा क्योंकि थोक मूल्य सूचकांक में पेट्रोल का भारांश बहुत कम है। पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्री जयपाल रेड्डी ने मंगलवार को कहा था कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में तेल के दाम बढ़ने के साथ साथ रुपए की गिरावट के कारण तेल मूल्यों में तुरंत वृद्धि जरूरी हो गई है। बहरहाल, डीजल, मिट्टी तेल और खाना पकाने की गैस के दाम में कोई वृद्धि नहीं हुई है। वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी की अध्यक्षता वाली उच्चाधिकार प्राप्त समिति इसे देख रही है। समिति में संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन सरकार के घटक दलों के प्रतिनिधि शामिल हैं। पिछले एक साल से इसकी बैठक नहीं हुई है। पेट्रोलियम मंत्री जयपाल रेड्डी के अनुसार, ‘यदि डालर के मुकाबले रुपए की विनिमय दर एक रुपए घटती है तो तेल कंपनियों पर सालाना 8,000 करोड़ रुपए का बोझ बढ़ता है।उल्लेखनीय है कि पिछले कुछ महीनों से रुपए में डालर के मुकाबले लगातार गिरावट का रुख बना हुआ है। बुधवार को भी डालर के मुकाबले रुपया सबसे निचले स्तर 56 रुपए प्रति डालर पर बंद हुआ है। एक साल पहले इन्हीं दिनों डालर के मुकाबले रुपए की विनिमय दर 46 रुपए प्रति डालर थी। तेल कंपनियां अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के लगातार बढ़ते दाम से पिछले कई सालों से जूझ रही हैं। मार्च 2011 को समाप्त वर्ष के दौरान लागत से कम दाम पर पेट्रोल बिक्री से कंपनियों को पेट्रोल पर ही 4,860 करोड़ रुपए का नुकसान उठाना पड़ा है।

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