Monday, May 28, 2012

सरकार के हाथों से निकला रुपया


डॉलर के मुकाबले रुपये की कीमत का औंधे मुंह लुढ़कना बदस्तूर जारी है। बुधवार को एक डॉलर की कीमत 56 रुपये को भी पार कर गई। ग्रीस संकट, आयातकों और तेल कंपनियों की मांग से रुपया एशिया में सबसे ज्यादा नुकसान उठाने वाली मुद्रा बन गई है। एक ही दिन में करीब 74 पैसे की गिरावट के बाद एक डॉलर की कीमत 56.01 रुपये पर थमी। रुपये की कमजोरी ने शेयर बाजार पर भी असर डाला और बीएसई का सेंसेक्स 16000 से नीचे आ गया। डॉलर के मुकाबले तेजी से कमजोर होता रुपया अब सरकार के लिए सिरदर्द पैदा करने लगा है। रिजर्व बैंक ने रुपये की गिरावट को रोकने के लिए बुधवार को कोई सीधा कदम नहीं उठाया। हालांकि बैंकों ने मुद्रा बाजार में डॉलर की बिकवाली की। माना जा रहा है कि बैंकों ने यह कदम रिजर्व बैंक के इशारे पर उठाया। रिजर्व बैंक के विकल्प चुक गए हैं। विदेशी मुद्रा भंडार सीमित है और दबाव बहुत ज्यादा है। अलबत्ता ग्रीस संकट के चलते विदेशी निवेशकों की बिकवाली, आयातकों और कंपनियों की डॉलर मांग में वृद्धि ने बैंकों की कोशिश को भी बेअसर कर दिया। ग्रीस के यूरोप से बाहर होने की आशंकाओं से विदेशी निवेशकों में घबराहट है। इसके चलते यूरो भी डॉलर के मुकाबले 20 महीने के न्यूनतम स्तर पर आ गया है। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मजबूत होता डॉलर रुपये को पिछले 17 महीने से कमजोर बना रहा है। इस अवधि में रुपये की कीमत डॉलर के मुकाबले 22 प्रतिशत तक गिर चुकी है। जबकि एशिया की अन्य मुद्राओं की कीमत में 17 से 20 प्रतिशत की कमी आई है। बीते पांच महीने में ही रुपया 12 प्रतिशत कमजोर हुआ है। बीते तीन दिन में डॉलर के मुकाबले रुपये की कीमत में डेढ़ रुपये की कमी आई है। इसका असर पेट्रोल की कीमतों में वृद्धि के रूप में सामने आ चुका है। घरेलू अर्थव्यवस्था की खराब हालत ने रुपये की स्थिति और कमजोर की है। बुधवार को मुद्रा बाजार में बैंकों के उतरने को जानकार रिजर्व बैंक के शुरुआती कदम के रूप में देख रहे हैं। माना जा रहा है कि रिजर्व बैंक आने वाले दिनों में कुछ नीतिगत उपायों की घोषणा कर सकता है। सूत्र बताते हैं कि अंतरराष्ट्रीय बाजार से डॉलर जुटाने के लिए सरकार विदेशी बांड जैसे उत्पाद भी ला सकती है। हालांकि सरकार का यह कदम रुपये की कीमत पर तत्काल कोई असर डालेगा इसमें संदेह है। वैसे, मुद्रा बाजार के जानकार मान रहे हैं कि यूरो संकट का हल जल्दी नहीं निकला तो रुपये की कीमत में और कमी आ सकती है। इंडिया फॉरेक्स एडवाइजर्स के सीईओ अभिषेक गोयनका का मानना है कि एक डॉलर की कीमत 56.50 रुपये के निचले स्तर तक जा सकती है।

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