Saturday, August 6, 2011

सुरक्षित फैसलों का ब्योरा दे सुप्रीम कोर्टनई दिल्ली


एक अप्रत्याशित फैसले में केंद्रीय सूचना आयोग ने सुप्रीम कोर्ट को उन मामलों का ब्योरा सार्वजनिक करने का निर्देश दिया है जिनमें उसने फैसला सुरक्षित रखा है। ऐसे मामलों का ब्योरा न रखने की सफाई को खारिज करते हुए केंद्रीय सूचना आयुक्त सत्यानंद मिश्र्रा ने आगे से ऐसे मामलों का रिकार्ड रखने और इसके ब्योरे को सार्वजनिक करने के लिए समुचित प्रबंध करने का आदेश दिया। रिटायर्ड कोमोडोर लोकेश के बत्रा की याचिका में उन मामलों की जानकारी चाही थी जिसमें सुनवाई पूरी होने के बाद न्यायाधीशों द्वारा फैसला सुरक्षित रख लिया गया था। उच्चतम न्यायालय ने अपने जवाब में कहा कि बत्रा ने जिस प्रकार की जानकारी चाही थी, वह उनके पास नहीं है। शीर्ष न्यायालय की ओर से सीआइसी के समक्ष पेश की गई दलील में कहा गया कि सामान्यतया आदेश सुरक्षित रखे जाने के दो से चार हफ्तों में फैसला सुना दिया जाता है। हालांकि ऐसे फैसलों का कोई रिकार्ड नहीं रखा जाता जहां आदेश लंबे समय तक सुरक्षित रखा गया हो। शीर्ष न्यायालय से ऐसे मामलों का ब्योरा रखने के लिए हर फाइल की समीक्षा करनी पड़ेगी जो एक असंभव सा कार्य है जबकि सुप्रीम कोर्ट के पास पहले से ही केसों का अंबार लगा हुआ है। मिश्र्रा ने इन दलीलों को नकारते हुए कहा कि ऐसे मामलों की जानकारी सार्वजनिक की जानी चाहिए। आयोग के आदेश के 15 दिनों के भीतर न्यायालय द्वारा इस संबंध में कार्यवाही शुरू की जानी चाहिए।


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