Wednesday, August 17, 2011

महाराष्ट्र और गुजरात में घटेगा प्याज उत्पादन


देश में प्याज के प्रमुख उत्पादक राज्य महाराष्ट्र और गुजरात में कम बरसात के कारण प्याज उत्पादन 20-30 प्रतिशत तक घट सकता है। राष्ट्रीय बागवानी शोध व विकास न्यास (एनएचआरडीएफ) के निदेशक आरके गुप्ता ने बताया कि फसल वर्ष 2010-11 (जुलाई-जून) में करीब 1.40 करोड़ टन प्याज का उत्पादन हुआ था। कम बरसात के कारण महाराष्ट्र, कर्नाटक और गुजरात में प्याज की खरीफ बुआई देर से हुई। इससे बाजार में प्याज आवक पर असर पड़ सकता है। आम तौर पर सितंबर में खरीफ प्याज की आवक होती है। इस बार इसके आने में अक्टूबर के अंत या नवंबर के पहले हफ्ते तक की देरी हो सकती है। गुप्ता ने कहा कि महाराष्ट्र के नाशिक व धूलिया, गुजरात के अहमदनगर व सौराष्ट्र और कर्नाटक के धारवाड़ व हुबली जैसे प्रमुख प्याज उत्पादक क्षेत्रों में कम बरसात हुई। एनएचआरडीएफ के आंकड़ों के अनुसार, इस वर्ष अगस्त से दिल्ली, नाशिक, बेंगलूर, चेन्नई, जयपुर, कोलकाता, मुंबई और पटना में प्याज की कीमतों में औसतन चार-आठ रुपये की बढ़ोतरी हुई है। प्याज के बढ़ते थोक और खुदरा मूल्य पर अंकुश लगाने के लिए सरकार हरकत में आ चुकी है। जून के बाद से प्याज का न्यूनतम निर्यात मूल्य तीन बार बढ़ाया जा चुका है। पिछले हफ्ते ही प्याज निर्यात को हतोत्साहित करने और घरेलू उपलब्धता को बनाए रखने के लिए सरकार ने प्याज के न्यूनतम निर्यात मूल्य को 45 डॉलर प्रति टन बढ़ाकर 275 डॉलर प्रति टन कर दिया था। प्याज की दो उन्नत किस्मों कृष्णापुरम और बेंगलूर रोज की कीमत को 50 डॉलर प्रति टन बढ़ाकर 400 डॉलर प्रति टन कर दिया गया।


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