Friday, August 12, 2011

निर्यात में तेज उछाल मगर आगे घटेगी रफ्तार


: अमेरिकी और यूरोपीय संकट के बावजूद जुलाई के निर्यात में 81.8 फीसदी की तेज बढ़त दर्ज की गई है। इंजीनियरिंग, पेट्रो-रसायन और रत्न एवं आभूषण क्षेत्र के बेहतर प्रदर्शन के चलते यह 29.3 अरब डॉलर पर पहुंच गया है। जबकि चालू वित्त वर्ष 2011-12 के पहले चार महीनों (अप्रैल-जुलाई) के दौरान निर्यात में 54 फीसदी की तेजी आई है। हालांकि सरकार ने चेताया है कि कठिन वैश्विक हालत में आगामी महीनों के दौरान यह रफ्तार शायद ही बरकरार रहे। वाणिज्य सचिव राहुल खुल्लर ने गुरुवार को निर्यात के आंकड़े जारी करते हुए कहा कि अमेरिका और यूरोपीय देशों में अनिश्चितता की वजह से निर्यात की रफ्तार को कायम रख पाना मुश्किल होगा। अगस्त-सितंबर से ही निर्यात की वृद्धि दर में कमी दिखाई देनी शुरू हो जाएगी। खुल्लर ने कहा कि ज्यादातर क्षेत्रों ने हालांकि बेहतर प्रदर्शन किया है, पर निर्यातकों को अति उत्साहित होने की जरूरत नहीं है। उन्हें संभलकर चलना चाहिए। माना जा रहा है कि अमेरिका और यूरोप में अनिश्चितता की वजह से वैश्विक मांग प्रभावित होगी। इन देशों की भारत के निर्यात में 35 फीसदी की हिस्सेदारी है। जुलाई में देश का इंजीनियरिंग निर्यात 8.7 अरब डॉलर का रहा। इसी तरह पेट्रोलियम उत्पादों का निर्यात 4.6 अरब डॉलर और रत्न एवं आभूषण निर्यात 3.5 अरब डॉलर का हुआ। इस दौरान आयात भी 51.5 फीसदी बढ़कर 40.4 अरब डॉलर पर पहुंच गया है। यानी इस महीने व्यापार घाटा बढ़कर 11.1 अरब डॉलर हो गया। चालू वित्त वर्ष के पहले चार महीनों में निर्यात 54 फीसदी उछल कर 108.3 अरब डॉलर का रहा है। इस दौरान आयात भी 40 फीसदी बढ़कर 151 अरब डॉलर पर पहुंच गया। पेट्रोलियम उत्पादों का आयात साल दर साल आधार पर 23 फीसदी बढ़कर 42 अरब डॉलर का रहा। निर्यातकों के संगठन फियो ने कहा कि निर्यात में इतनी तेजी वृद्धि हाल के समय में कभी नहीं हुई है।

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