Friday, August 12, 2011

कर्ज की फिक्र पीछे छूटी मंदी रोकने की मुहिम हुई शुरू


, नई दिल्ली कर्ज संकट की चिंता छोड़ दुनिया भर के बैंक मंदी रोकने और ग्रोथ बचाने की जंग में कूदने वाले हैं। राह फेडरल रिजर्व ने दिखाई है। अमेरिका का यह केंद्रीय बैंक ब्याज दरों को वर्ष 2013 तक तक न्यूनतम रखेगा। इतना ही नहीं, उद्योगों व निवेशकों के लिए अपने खजाने भी खुले रखेगा। दुनिया के अन्य केंद्रीय बैंक भी ऐसा ही करेंगे। इससे ब्याज बढ़ने का दौर थमने और दरें कम होने की शुरुआत हो सकती है। मंगलवार को देर रात आए फेड रिजर्व के इस फैसले की उंगली पकड़कर बाजार बुधवार को कुछ खड़े होते दिखे। दुनिया के कई बाजारों में लड़खड़हाट के साथ कुछ सुधार हुआ। मोर्गन स्टेनली ग्लोबल इंडेक्स आधा फीसदी बढ़ा, मगर बाजारों में बहुत भरोसा नहीं था। फ्रांस की रेटिंग घटने का खतरा बुधवार को यूरोपीय बाजारों को रीढ़ कंपा गया। वहीं, धराशायी हुए एशियाई बाजार हल्की खरीद के सहारे कुछ उबरे। भारत में सेंसेक्स 273 अंक की बढ़त लेकर फिर सत्रह हजार के पार चला गया। मंगलवार को फेड रिजर्व के फैसले के बाद दो साल में सबसे अच्छा दिन दर्ज करने वाले अमेरिकी बाजार बुधवार को करीब तीन फीसदी की कमजोरी के साथ खुले। लगभग तीन दिन की अफरातफरी और अनश्चितता के बाद अब दुनिया के बैंक व राजनेता संकट से निबटने के लिए एक रणनीति के करीब पहुंचते दिख रहे हैं। कोशिश कर्ज संकट से ध्यान हटाकर मंदी रोकने की है, क्योंकि ग्रोथ सौ मर्जो की एक दवा है। फेड चेयरमैन बेन बर्नाकी ने साफ कर दिया कि अमेरिका कर्ज संकट की जगह ग्रोथ को गिरने से रोकने व बढ़ाने पर ध्यान देगा। कर्ज सस्ते रखे जाएंगे यानी बाजार में डॉलर की सप्लाई बढ़ेगी। फेड रिजर्व की बैठक में अप्रत्याशित तौर पर असहमति नजर आई। असहमत सदस्यों को महंगाई का डर सता रहा था, लेकिन कम से कम एक दिन बर्नाकी ने बाजारों को राहत जरूर दे दी। दूसरी तरफ जी-7 देशों के इशारे पर यूरोप के बैंक भी बाजार में सक्रिय हस्तक्षेप यानी बांडों की खरीद और सस्ते कर्ज की राह पकड़ने वाले हैं। संभवत: एशियाई बैंक भी यही रणनीति अपनाएंगे। बुधवार को बाजार यूरोप को लेकर ज्यादा बेचैन थे। बाजारों को लग रहा है कि ट्रिपल ए यानी सबसे ऊंची साख वाले क्लब से बाहर होने की राह पर अब फ्रांस का नंबर है। इसी वजह से यूरोप के बाजार बुरी तरह टूटे और असर मुद्रा बाजारों तक गया, जहां पहले से मार खा रहा यूरो और गिर गया। फ्रांस की रेटिंग घटना यूरोप में एक नए किस्म के राजनीतिक संकट की शुरुआत होगी। फ्रांसीसी बैंको के शेयरों पर मंदडि़यों का धावा था। इस देश के प्रमुख बैंक सोसाइटी जनरेली के शेयर में 23 साल की सबसे तेज गिरावट आई। हालांकि, मूडीज ने फ्रांस ने ट्रिपल रेटिंग जारी रखने का संकेत दिया है, लेकिन यूरोपीय बाजारों को इस पर विश्वास नहीं हुआ। ब्याज दरें कम रखने की रणनीति से शेयर बाजारों को तो राहत मिली, लेकिन मुद्रा बाजार में डॉलर को लेकर घबराहट है। अमेरिका में ब्याज दर कम होने से डॉलर की ताकत घटेगी। निर्यातकों के दबदबे वाले एशियाई बाजारों में डॉलर को लेकर आशंकाएं ज्यादा थीं।


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