Tuesday, August 9, 2011

देश का पौने दो लाख करोड़ दांव पर


अमेरिका को कर्ज देने वाले 15 प्रमुख देशों में भारत भी शामिल है। अमेरिका के बढ़ते कर्ज में भारत की हिस्सेदारी करीब 1.83 लाख करोड़ रुपये (41 अरब डॉलर ) है। यह फ्रांस और ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों से भी ज्यादा है। अमेरिका के कुल 15,000 अरब डॉलर के कर्ज में 45,00 अरब डॉलर का ऋण विदेश से लिया गया है। ये कर्ज अमेरिकी सरकार के ऋण प्रतिभूतियों (सिक्योरिटी) के जरिये दिए गए हैं। रिजर्व बैंक विदेशी मुद्रा भंडार के तहत अमेरिकी सरकारी प्रतिभूतियां डॉलर होल्डिंग एकाउंट में रखता है। यह उसके कुल पोर्टफोलियो का करीब 10 प्रतिशत है। अमेरिकी वित्त विभाग के अनुसार अमेरिका सरकार को सबसे अधिक कर्ज चीन ने दिया है। भारत ने अमेरिकी प्रतिभूतियों में 41 अरब डॉलर का निवेश कर रखा है। इस तरह अमेरिका को कर्ज देने वाले देशों की सूची में भारत 14वें स्थान पर है। स्टैंडर्ड एंड पुअर्स (एसएंडपी) द्वारा अमेरिका की संप्रभु रेटिंग एएए यानी ट्रिपल ए से घटाकर एए प्लस करने के बाद रिजर्व बैंक भी कुछ कदम उठा सकता है। केंद्रीय बैंक उन्हीं देशों की ऋण प्रतिभूतियां खरीदने और रखने की अनुमति देता है, जिन्हें ट्रिपल ए रेटिंग मिली है। 41 अरब डॉलर की कुल ऋण प्रतिभूतियों में बहुलांश हिस्सेदारी रिजर्व बैंक के पास है। इसके अलावा कुछ बैंकों का भी पैसा वहां फंसा हो सकता है। सूत्रों के मुताबिक, रिजर्व बैंक अमेरिका में कर्ज संकट के बावजूद पिछले करीब एक साल में अमेरिकी प्रतिभूति खरीदता रहा है। भारत ने बीते एक साल में करीब 10 अरब डॉलर की अतिरिक्त अमेरिकी सरकारी प्रतिभूतियां खरीदी हैं।


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