Saturday, August 20, 2011

अब शीतकालीन सत्र में पेश होगा खाद्य विधेयक


विभिन्न राज्यों और मंत्रालयों में सहमति नहीं बन पाने के कारण सरकार अब महत्वपूर्ण खाद्य सुरक्षा विधेयक को संसद के आगामी शीतकालीन सत्र में ही पेश कर पाएगी। खाद्य मंत्री केवी. थॉमस ने बुधवार को यह जानकारी दी। इस विधेयक में सरकार ने देश की 70 फीसदी आबादी को कानूनी तौर पर सस्ता अनाज उपलब्ध कराने का प्रस्ताव किया है। पहले इस विधेयक को संसद के चालू मानसून सत्र में ही पेश किए जाने की उम्मीद थी। थॉमस ने कहा कि फिलहाल इस विधेयक पर विभिन्न राज्यों और मंत्रालयों के साथ विचार-विमर्श चल रहा है। मंत्रियों का अधिकार प्राप्त समूह और कानून मंत्रालय पहले ही विधेयक के मसौदे को मंजूरी दे चुके हैं। उन्होंने कहा कि विधेयक के मसौदे को पिछले शुक्रवार को ही राज्य सरकारों के पास उनकी राय के लिए भेजा गया है। इस प्रक्रिया में कम से कम 15 दिन का समय लगेगा। उसके बाद प्रधानमंत्री राज्यों के मुख्यमंत्रियों की बैठक बुलाएंगे, जिसमें विधेयक के प्रारूप को अंतिम रूप दिया जाएगा। स्वतंत्रता दिवस के मौके पर राष्ट्र के नाम अपने संबोधन में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कहा था कि सरकार जल्द ही राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा कानून लाएगी। खाद्य सुरक्षा कानून पर ठीक ढंग से अमल करने के लिए हमें देश का कृषि उत्पादन बढ़ाने की आवश्यकता है। 12 वीं योजना में हम इस दिशा में प्रयास तेज करेंगे। थॉमस ने कहा कि विधेयक में यूपीए अध्यक्ष सोनिया गांधी की अगुवाई वाली राष्ट्रीय सलाहकार परिषद की ज्यादातर सिफारिशों को शामिल किया गया है। यह पूछे जाने पर कि इस विधेयक के दायरे में कितनी आबादी आएगी, खाद्य मंत्री ने कहा कि अभी हम अंतिम आंकड़ों तक नहीं पहुंचे हैं। राष्ट्रीय सलाहकार परिषद ने सुझाव दिया है कि इस कानून के दायरे में 90 प्रतिशत आबादी को लाया जाना चाहिए। वहीं अधिकार प्राप्त मंत्री समूह का कहना है कि इसके दायरे में केवल 75 प्रतिशत ग्रामीण परिवारों को शामिल किया जाना चाहिए


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