राहत की आस चालू सत्र में 15 फरवरी तक हुआ 2.18 करोड़ टन चीनी का उत्पादन सरकार ने पूरे सत्र के लिए जारी किया है 2.5 करोड़ टन उत्पादन का अनुमान
नई दिल्ली (एजेंसी)। देश का चीनी उत्पादन 2010-11 के चीनी सत्र में 15 फरवरी तक 24 फीसद बढ़कर 2.18 करोड़ टन हो गया। पूरे सत्र के दौरान अनुमान से ज्यादा उत्पादन रहने की उम्मीद है। उद्योग संगठन भारतीय चीनी मिल संघ (इस्मा) ने यह जानकारी दी है। चीनी उत्पादन पिछले सत्र की समान अवधि में एक करोड़ 75.8 लाख टन था। चीनी सत्र अक्टूबर से सितम्बर तक होता है। इस्मा के महानिदेशक अविनाश वर्मा ने बताया, '15 फरवरी तक चीनी मिलों ने 2.18 करोड़ टन चीनी का उत्पादन किया है जो वर्ष भर पहले की समान अवधि में एक करोड़ 75.8 लाख टन था।'
देश में चीनी के सबसे बड़े उत्पादक राज्य महाराष्ट्र में गन्ने की पेराई का काम अभी जारी है जबकि उत्तर प्रदेश में यह समाप्त होने वाला है। उत्तर प्रदेश देश में चीनी का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक राज्य है। निजी मिलों का प्रतिनिधित्व करने वाले संगठन इस्मा ने इस वर्ष भारत के चीनी उत्पादन का आंकड़ा 2.5 करोड़ टन रहने का अनुमान लगाया है, जो 2009-10 के चीनी सत्र में 1.9 करोड़ टन था। हालांकि सरकार ने देश में चीनी उत्पादन 2.45 करोड़ टन रहने का अनुमान व्यक्त किया है। देश में चीनी की सालाना मांग 2.2 करोड़ टन की है। चूंकि देश में चीनी का उत्पादन मांग से कहीं अधिक होने की संभावना है इसलिए भारत ने चीनी का निर्यात शुरू कर दिया है। सरकार ने आरंभ में चीनी मिलों को अग्रिम लाइसेंस योजना के तहत करीब 10 लाख टन के निर्यात दायित्व को पूरा करने की अनुमति दी। हाल ही में ओपन जनरल लाइसेंस (ओजीएल) के तहत करीब पांच लाख टन चीनी के निर्यात की भी अनुमति दी गई। चीनी की घरेलू कीमतें भी राष्ट्रीय राजधानी में घटकर अब 30-32 रुपए प्रति किलोग्राम पर आ गई हैं, जो पिछले साल जनवरी मध्य में 50 रुपए प्रति किलो की ऊंचाई पर पहुंच गई थीं।
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