Wednesday, April 6, 2011

चार तरह के लगेंगे जीएसटी


केंद्र और राज्यों में अप्रत्यक्ष कर ढांचे को बदल देने वाला वस्तु व सेवा कर (जीएसटी) कानून संसद से पारित होता है तो देश में चार अलग-अलग तरह के जीएसटी लागू होंगे। केंद्र और राज्यों में लगने वाले जीएसटी के साथ-साथ अब राज्यों में आपूर्ति के लिए होने वाली वस्तुओं की आवाजाही भी जीएसटी के दायरे में शामिल हो जाएगी। सरकार ने 22 मार्च, 2011 को लोकसभा में जीएसटी विधेयक पेश किया था। विधयेक के मसौदे में सरकार ने पहले केदो तरह के जीएसटी के बजाय चार प्रकार के वस्तु व सेवा करों का प्रस्ताव किया है। अगर अगले साल पहली अप्रैल तक संसद और 60 प्रतिशत राज्य विधानसभाएं इस कानून को पारित कर देती हैं तो ये प्रस्ताव लागू हो जाएंगे। केंद्र और राज्यों में लागू अप्रत्यक्ष करों के इस नए ढांचे में उन उत्पादों और वस्तुओं पर केंद्रीय जीएसटी लागू होगा जिनकी वसूली केंद्रीय स्तर पर होगी। इससे प्राप्त होने वाले राजस्व का बंटवारा केंद्र और राज्यों के बीच वित्त आयोग की सिफारिशों के मुताबिक होगा। तेरहवें वित्त आयोग ने इस तरह के कर राजस्व में राज्यों की हिस्सेदारी 29 प्रतिशत तय की थी। इसके अलावा उन उत्पादों व सेवाओं पर राज्य जीएसटी लगेगा जिन पर अपने-अपने राज्यों में राज्य सरकारें टैक्स लगाती हैं। इन उत्पादों और वस्तुओं पर लगे टैक्स से मिलने वाला राजस्व भी राज्यों के हिस्से में ही जाता है। इतना ही नहीं, वस्तुओं और सेवाओं की आपूर्ति के सौदों पर केंद्रीय व राज्य जीएसटी लागू होंगे। केवल उन्हीं वस्तुओं और सेवाओं की आपूर्ति के सौदों पर यह टैक्स नहीं लगेगा जो जीएसटी के दायरे में नहीं हैं। इसके अलावा विधेयक में वस्तुओं और सेवाओं के अंतरराज्यीय सौदों पर भी एकीकृत जीएसटी लगाने का प्रावधान रखा गया है। मगर केंद्र और राज्य स्तर पर लगने वाले जीएसटी के जोड़ के बराबर टैक्स देना होगा। कानून में इस टैक्स से मिलने वाले राजस्व के राज्यों के बीच बंटवारे का तरीका भी स्पष्ट किया गया है। इसके मुताबिक जो राज्य वस्तु या सेवा का निर्यात करेगा वह एकीकृत जीएसटी के तहत किए गए भुगतान को राज्य जीएसटी के खाते से केंद्र को हस्तांतरित कर देगा। आयात करने वाला डीलर अपने राज्य में उसका क्रेडिट लेगा जिसका भुगतान केंद्रीय हिस्से से किया जाएगा। अभी तक केंद्र और राज्यों को एक दूसरे के क्षेत्राधिकार में आने वाली वस्तुओं और सेवाओं पर उत्पाद शुल्क, बिक्री कर या सेवा कर लगाने का अधिकार नहीं है। चूंकि जीएसटी कानून लागू होने के बाद केंद्रीय और स्थानीय करों को जीएसटी के दायरे में शामिल कर लिया जाएगा, लिहाजा ऐसे किसी भी आइटम पर जीएसटी लगाने के लिए संविधान में संशोधन का सहारा लेना होगा। उसके बाद ही वह बदलाव केंद्र और राज्य स्तर पर लागू हो पाएगा|

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