Wednesday, April 13, 2011

अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष ने भारत का विकास अनुमान घटाया


 बदलती परिस्थितियों में अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष (आइएमएफ) ने भारत के लिए अपने विकास अनुमान को फिर घटा दिया है। इस विश्व संस्था ने वर्ष 2011 के लिए भारतीय अर्थव्यवस्था की विकास दर के अनुमान को अब 8.2 प्रतिशत कर दिया है। अगले साल यह दर और घटकर 7.8 फीसदी पर आ जाएगी। मुद्राकोष ने इससे पहले इस साल भारत की वृद्धि दर 8.4 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया था। हाल ही में एशियाई विकास बैंक (एडीबी) ने भी भारत के संबंध में अपना अनुमान घटाकर 8.2 फीसदी कर दिया था। आइएमएफ ने आगाह किया है कि भारतीय अर्थव्यवस्था में इस समय दिख रही तेजी की स्थिति ओवर हीटिंग का रूप ले सकती है। यह ऐसी स्थिति है, जहां मौजूदा संसाधनों के जरिये अर्थव्यवस्था की कुल मांग को पूरा करना मुश्किल होने लगता है। इसी के मद्देनजर मुद्राकोष ने अपनी ताजा व‌र्ल्ड इकोनॉमिक आउटलुक रिपोर्ट में कहा है कि उभरते व विकासशील देशों के सामने अर्थव्यवस्था को असामान्य तेजी से बचाने की चुनौती है। इसमें भारत में फरवरी की महंगाई दर को ऊंचा बताया गया है, तब यह दर 8.31 प्रतिशत थी। मुद्राकोष की मानें तो कई अर्थव्यवस्थाओं में असामान्य तेजी के संकेत मिल रहे हैं। खाद्य पदार्थो के दाम बढ़ने से हाल के महीनों में थोक मूल्यों पर आधारित महंगाई दर में तेजी आई है। जिंसों के दामों में तेजी और कच्चे तेल की आपूर्ति में बाधा से अर्थव्यवस्थाओं की स्थिति सुधरने की प्रक्रिया प्रभावित हो सकती है। जिंसों की कीमतों में उम्मीद से ज्यादा तेजी है। यह तेजी मजबूत मांग और आपूर्ति के बीच बनी खाई की ओर साफ इशारा कर रही है। विश्व में बढ़ेगी गरीबी मुद्राकोष ने आगाह किया है कि कच्चे तेल की कीमतों में उछाल से वैश्विक स्तर पर गरीबी बढ़ सकती है। नीति निर्माता तेल की बढ़ती किल्लत को देखते हुए आपूर्ति के संभावित जोखिमों को कम करने के एसे उपाय ढूंढें ताकि आपूर्ति में बाधा खड़ी न हो। तेल की ऊंची कीमत से आय के वितरण का स्वरूप बदल सकता है। दुनिया में सबसे अधिक व्यापार कच्च्चे तेल में होता है। 2007-09 के दौरान इसका औसत वैश्विक निर्यात सालाना 1,800 अरब डॉलर रहा जो कुल वैश्विक निर्यात के करीब दसवें हिस्से के बराबर है|

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