Saturday, April 23, 2011

चार साल में चीन से आगे होंगे हम


दुनिया भर के अर्थविदों में गंभीरता से इस बात पर चर्चा हो रही है कि आर्थिक विकास दर के मामले में भारत चीन को कब पीछे छोड़ देगा। देश के दूसरे सबसे बड़े बैंक आइसीआइसीआइ की रिपोर्ट को मानें तो वर्ष 2015 के बाद भारत की विकास दर चीन से बहुत आगे निकल जाएगी। इसके बाद भारत विकास दर के मामले में अगले 15 वर्षो तक चीन से आगे ही रहेगा। भारत व चीन की विकास दर का अनुमान आइसीआइसीआइ बैंक ने दोनों देशों में मांग की स्थिति का आकलन के आधार पर लगाया है। इसके मुताबिक मांग के आधार पर चीन की अर्थव्यवस्था पिछले 30 वर्षो से औसतन 10 फीसदी की रफ्तार से बढ़ी है। इस दौरान भारतीय अर्थव्यवस्था की औसत विकास दर छह फीसदी रही है। मगर चीन के लिए इस स्थिति को बरकरार रखना अब मुश्किल है। वर्ष 2012 में चीन 10 फीसदी की दर से विकास करेगा जबकि उस वर्ष भारतीय अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर 8.6 फीसदी रहेगी। इसके बाद हालात बदलेंगे। वर्ष 2015 में पहली बार भारतीय अर्थव्यवस्था की विकास दर 9.5 फीसदी होगी जबकि चीन की 9.1 फीसदी। बैंक मानता है कि इसके बाद चीन भारत से पिछड़ता चला जाएगा। वर्ष 2020 में भारत की विकास दर 10.3 फीसदी होगी जबकि चीन की रहेगी महज 7.4 फीसदी। यह फासला आगे भी बढ़ता जाएगा। वर्ष 2030 में भारत की विकास दर 11 फीसदी और चीन की 6.7 फीसदी रहने का अनुमान लगाया गया है। इस वृद्धि की वजह से भारतीय अर्थव्यवस्था का आकार वर्ष 2030 तक मौजूदा 1.3 खरब डॉलर का छह गुणा हो जाएगी। भारतीय अर्थव्यवस्था की इस सुनहरी तस्वीर के लिए आइसीआइसीआइ बैंक ने कई वजहें बताई हैं। भारत की युवा आबादी और साक्षरता की बढ़ती दर एक बड़ी वजह होगी। वर्ष 2020 तक की बात करें तो भारत में अतिरिक्त 13.5 करोड़ युवा श्रमिक अर्थव्यवस्था में योगदान देंगे। जबकि चीन की आबादी में इस दौरान सिर्फ 2.3 करोड़ नए युवा श्रमिक आबादी में शामिल होंगे। चीन में उम्रदराज लोगों की बढ़ती संख्या वहां की विशाल अर्थव्यवस्था के लिए गंभीर चुनौती पैदा करेगी। दूसरी तरफ युवा आबादी भारत की एक बड़ी शक्ति बनेगी|

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