राष्ट्रीय मैन्युफैक्चरिंग नीति का एलान इस महीने के अंत तक हो जाने की उम्मीद है। इस हफ्ते प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की अध्यक्षता में होने वाली बैठक में इसे अंतिम रूप दिए जाने की संभावना है। इस नीति के जरिए देश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में मैन्युफैक्चरिंग क्षेत्र की हिस्सेदारी 25 प्रतिशत तक लाने का लक्ष्य रखा गया है। सूत्र बताते हैं कि पिछले हफ्ते वाणिज्य व उद्योग मंत्रालय में हुई एक उच्च स्तरीय बैठक में मैन्युफैक्चरिंग नीति का मसौदा तैयार कर लिया गया है। अब इसे प्रधानमंत्री मनमोहन के साथ इसी हफ्ते होने वाली बैठक में रखा जाएगा। इस बैठक में वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री आनंद शर्मा प्रधानमंत्री को इस नीति का विस्तार से ब्योरा देंगे। बीते शुक्रवार को मंत्रालय में नीति का मसौदा तैयार करने वाली समिति के साथ हुई बैठक में आनंद शर्मा को इसकी जानकारी दी गई। नई नीति में सरकार ने एक राष्ट्रीय मैन्युफैक्चरिंग एवं निवेश जोन (एनएमआइजेड) बनाने का प्रस्ताव किया है। इसमें न सिर्फ उत्पादक यूनिटें होंगी, बल्कि उससे जुड़ी लॉजिस्टिक्स, प्रदूषण की रोकथाम और आवास जैसी सभी सुविधाएं भी रहेंगी। इसके अलावा इस जोन में लगने वाली यूनिटों के लिए कर्मचारियों को रखने और निकालने के नियम लचीले रहेंगे। इस क्षेत्र में स्थापित होने वाली यूनिटों को कई तरह की कर छूट का प्रस्ताव भी मसौदे का हिस्सा है। फिलहाल विशेष आर्थिक क्षेत्र (एसईजेड) में लगने वाली यूनिटों को मिल रही रियायतों को राष्ट्रीय एनएमआइजेड तक बढ़ाने का प्रस्ताव है। इसमें पांच साल तक निर्यात आय पर सौ प्रतिशत आयकर छूट के साथ बिक्री और सेवा कर पर छूट का भी प्रस्ताव नीति के मसौदे में किया गया है। इस नीति के जरिए सरकार अगले नौ साल में जीडीपी में मैन्युफैक्चरिंग क्षेत्र के योगदान को जीडीपी के एक चौथाई तक ले जाना चाहती है। सरकार की इच्छा है कि इस क्षेत्र की मौजूदा रफ्तार कम से कम दुनिया के सात बड़े औद्योगिक देशों के समूह जी 7 के बराबर पहुंच जाए। इसी के मद्देनजर नई राष्ट्रीय मैन्युफैक्चरिंग नीति तैयार की जा रही है। नीति के मसौदे में पर्यावरण की सुरक्षा का ध्यान रखते हुए ग्रीन टेक्नोलॉजी पर खासा जोर दिया गया है। अगले दो दशक में देश के औद्योगिक क्षेत्र में सरकार पर्यावरण अनुकूल तकनीकी को प्रोत्साहित करेगी|
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