भले ही विदेशी फंड लिवाली करते दिखें, लेकिन पेट्रो उत्पादों की मूल्य वृद्धि पर मंत्रिसमूह की इस हफ्ते प्रस्तावित बैठक के मद्देनजर बाजार सतर्क रहेगा। 3 मई को समाप्त कारोबारी सप्ताह के दौरान विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआइआइ) की तीन सत्रों तक लगातार लिवाली से दलाल स्ट्रीट में तेजी दर्ज हुई। बंबई शेयर बाजार (बीएसई) का सेंसेक्स बीते हफ्ते इससे पूर्व सप्ताहांत के मुकाबले 110.38 अंक बढ़कर 18376.48 पर बंद हुआ था। विश्लेषकों के मुताबिक, पिछले वित्त वर्ष की चौथी तिमाही के नतीजों की घोषणाएं करीब-करीब समाप्त होने को हैं। अब बाजार में खासकर एफआइआइ की लिवाली गतिविधियां कायम रहने की उम्मीद है। सबसे सकारात्मक बात यह है कि निर्धारित समय से मानसून आगे बढ़ रहा है। इसके बावजूद बाजार में हौसले का स्तर कमजोर है। सबसे ज्यादा इंतजार ईंधन कीमतें बढ़ाने को लेकर मंत्रिसमूह की नौ जून को प्रस्तावित बैठक का है। ऐसे में निवेशक सतर्कता बरतेंगे, क्योंकि सरकार डीजल, रसोई गैस और केरोसीन के दाम बढ़ाने का फैसला कर सकती है। अगर ऐसा हुआ तो महंगाई की आग और भड़केगी। इसलिए निर्णय के बाद बाजार में भारी बिकवाली हो सकती है। वैसे कुल मिलाकर रिजर्व बैंक की 16 जून को होने वाली मध्य तिमाही समीक्षा, 9 जून को ईंधन कीमतों पर मंत्रियों के अधिकारप्राप्त समूह की बैठक, अप्रैल का आइआइपी आंकड़ा और मई के महंगाई के आंकड़े आने वाले दिनों में बाजार की दिशा तय करेंगे। विश्लेषक बार-बार इस बात पर जोर दे रहे हैं कि देश का समूचा आर्थिक माहौल अभी भी चुनौतीपूर्ण बना हुआ है। इसका सकल घरेलू उत्पाद यानी जीडीपी के आंकड़ों व अन्य रिपोर्टों में साफ तौर पर जिक्र किया गया है। समीक्षाधीन सप्ताह के दौरान देश की शीर्ष 10 में से 7 कंपनियों ने अपने बाजार पूंजीकरण में 21,345 करोड़ रुपये जोड़े हैं। इसमें एसबीआइ और एनटीपीसी को सबसे ज्यादा फायदा मिला है। सबसे बड़े बैंक एसबीआइ का बाजार पूंजीकरण 4,972 करोड़ रुपये बढ़कर 1,46,860 करोड़ रुपये पहुंच गया। एनटीपीसी का बाजार पूंजीकरण 4,576 करोड़ रुपये बढ़कर 1,43,801 करोड़ रुपये रहा। कोल इंडिया का बाजार मूल्य 2,242 करोड़ रुपये बढ़कर 2,47,475 करोड़ रुपये पहुंच गया।
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