Wednesday, June 29, 2011

स्वरोजगार में लगा है देश का आधा श्रम बल


कामकाज करने योग्य देश की आधी से अधिक आबादी स्वरोजगार में लगी है। इसी तरह श्रम बाजार में एक ही तरह के काम के लिए महिला कर्मचारियों को अपने पुरुष सहकर्मियों के मुकाबले कम वेतन मिलता है। यह खुलासा एक सरकारी सर्वे में हुआ है। राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण कार्यालय (एनएसएसओ) के 66वें सर्वे के मुताबिक देश के कुल श्रम बल का 51 प्रतिशत स्वरोजगार में लगा है। केवल 15.6 प्रतिशत लोग ही नियमित नौकरी करते हैं। जबकि श्रम योग्य आबादी का 33.5 प्रतिशत अस्थायी मजदूरी करता है। ग्रामीण क्षेत्रों के 54.2 प्रतिशत कामकाजी लोग स्वरोजगार में लगे हैं। जबकि नगरों में 41.4 प्रतिशत कामगार स्वरोजगार में लगे हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में मात्र 7.3 प्रतिशत कामगार ही नियमित वेतन पाते हैं। वहीं नगरों में यह अनुपात 41.4 प्रतिशत है। श्रम बाजार में महिलाओं की स्थिति के बारे में यह निष्कर्ष निकला है कि उन्हें शहरी और ग्रामीण दोनों क्षेत्रों में पुरुषों की तुलना में कम दर पर पारिश्रमिक मिलता है। नगरीय क्षेत्रों में पुरुषों का औसत दैनिक वेतन 365 रुपये और ग्रामीण क्षेत्रों में यह 232 रुपये प्रति दिन है। सर्वे में कहा गया है कि गांवों में पुरुष कामगारों का औसत प्रतिदिन आय 249 रुपये व महिलाओं की 156 रुपये ही है। इस प्रकार गांवों में महिला और पुरुष के आय का अनुपात 63-100 है। इसी तरह शहरी क्षेत्र में पुरुष कामगार प्रतिदिन 377 रुपये कमाते हैं, जबकि महिला कामगारों की आय 309 रुपये ही है। यह रिपोर्ट 1,00,957 परिवारों पर किए गए सर्वे पर आधारित है। सर्वे में शामिल परिवारों में ग्रामीण क्षेत्र और नगरीय क्षेत्र के क्रमश: 59,129 और 41,828 परिवार थे। सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय ने एक बयान में कहा है कि नमूने का संग्रह जुलाई 2009 से जून 2010 के बीच देशभर के 7402 गांवों और 5252 शहरों से किया गया। सर्वे में पाया गया कि सार्वजनिक कार्यो से इतर अनियमित मजदूरों को पारिश्रमिक के तौर पर प्रतिदिन 93 रुपये दिया जाता है। जबकि नगरीय क्षेत्रों में यह राशि 122 रुपये है। अगर इसे लिंग के हिसाब से देखें तो ग्रामीण क्षेत्रों में अनियमित पुरुष कामगार को 102 रुपये और महिला कामगार को मात्र 69 रुपये मिलते हैं। सार्वजनिक कार्यो से इतर नगरीय क्षेत्रों में अनियमित पुरुष कामगार को 132 रुपये और महिला कामगार को मात्र 77 रुपये मिलते हैं। महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार योजना (मनरेगा) के तहत कराए जाने वाले कार्यो में भी महिला और पुरुष कामगारों के वेतन में अंतर है। मनरेगा के तहत अनियमित पुरुष कामगारों को 91 रुपये जबकि महिला कामगार को 87 रुपये पारिश्रमिक दिया जाता है। एनएसएसओ के सर्वे के मुताबिक ग्रामीण क्षेत्रों के करीब 63 प्रतिशत पुरुष कामगार कृषि कार्य में लगे हैं, जबकि 19 प्रतिशत और 18 प्रतिशत लोग क्रमश: द्वितीयक (विनिर्माण) और तृतीयक (सेवा) क्षेत्र के कार्यो में लगे हैं। कृषि क्षेत्र बहुत हद तक महिला कामगारों पर आश्रित है। 79 प्रतिशत महिला कामगार कृषि कार्य में लगी हुई हैं, जबकि 13 प्रतिशत और 8 प्रतिशत महिला श्रमिक क्रमश: द्वितीयक और तृतीयक क्षेत्र के कार्यो में लगी हैं। ग्रामीण और नगरीय क्षेत्रों के लोगों के कार्यो पर नजर डालने पर स्पष्ट होता है कि नगरों के अधिकांश लोग सेवा क्षेत्र के कार्यो में लगे हुए हैं। नगरीय क्षेत्रों में करीब 59 प्रतिशत पुरुष कामगार और 53 प्रतिशत महिला कामगार सेवा क्षेत्र में लगे हुए हैं। वहीं करीब 35 प्रतिशत पुरुष कामगार और 33 प्रतिशत महिला कामगार विनिर्माण क्षेत्र में लगे हैं। नगरीय कामगारों में 6 प्रतिशत पुरुष कामगार और 14 प्रतिशत महिला कामगार कृषि क्षेत्र से जुड़े हैं।


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