करीब डेढ़ महीने के अंतराल के बाद भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआइ) ने एक बार फिर होम और ऑटो लोन को महंगा करने का रास्ता साफ कर दिया है। अपनी मौद्रिक नीति की पहली मध्य तिमाही समीक्षा में आरबीआइ ने गुरुवार को रेपो रेट (प्रमुख नीतिगत ब्याज दर) एक चौथाई फीसदी बढ़ाने का एलान किया। इसके साथ ही रिवर्स रेपो में भी स्वत: ही इतनी बढ़ोतरी हो जाएगी। रिजर्व बैंक ने साफ कर दिया है कि महंगाई को काबू पाने की रणनीति के तहत मौद्रिक नीति को कठोर बनाने की प्रक्रिया जारी रहेगी। केंद्रीय बैंक का कहना है कि महंगाई में हो रही वृद्धि को देखते हुए इस तरह के कदम उठाना अनिवार्य हो गया था। मार्च, 2010 के बाद यह दसवां मौका है, जब रिजर्व बैंक ने इन ब्याज दरों में बढ़ोतरी की है। रिजर्व बैंक के इस कदम का इशारा साफ है कि इस बढ़ोतरी के चलते घर कर्ज व वाहन कर्ज की दरें और बढ़ानी होंगी। रेपो दर में वृद्धि के पास जैसे ही बैंक अपनी आधार दर बढ़ाने का फैसला करेंगे, आपके होम लोन की ईएमआइ (मासिक किस्त) में भी इजाफा हो जाएगा। हालांकि, बैंकों ने अभी यह साफ नहीं किया है कि वे ग्राहकों पर ब्याज दरों में वृद्धि का बोझ कब से डालेंगे। देश में महंगाई के काबू में नहीं आने के बाद रिजर्व बैंक पर मौद्रिक नीति को कठोर बनाने का दबाव लगातार पड़ रहा था। मई, 2011 में ही महंगाई की दर नौ प्रतिशत के पार पहुंच गई थी। रेपो रेट यानी वह दर जिस दर पर बैंक अपनी अल्पकालिक जरूरतों को पूरा करने के लिए रिजर्व बैंक से कर्ज लेते हैं। अब यह दर 0.25 फीसदी बढ़कर साढ़े 7.5 प्रतिशत हो गई है। इसके आधार पर बैंक अपनी आधार दर (कर्ज पर ब्याज की दर) तय करते हैं। जबकि रिवर्स रेपो वह दर होती है, जिस पर बैंकों द्वारा बेहद कम अवधि के लिए जमा की जानी वाली अतिरिक्त नकदी पर रिजर्व बैंक ब्याज देता है। अब यह दर 6.5 फीसदी हो गई है। इसके अलावा रोजाना की जरूरतों को पूरा करने के लिए नकदी समायोजन सुविधा (एलएएफ) के तहत ब्याज दर को बढ़ाकर 8.5 प्रतिशत कर दिया गया है। आरबीआइ का मानना है कि इससे बाजार में मांग का दबाव कम होगा और महंगाई पर अंकुश लगाने में मदद मिलेगी। मगर ब्याज दरों में बढ़ोतरी से औद्योगिक उत्पादन की रफ्तार के धीमा होने की आशंका भी जताई जा रही है। माना जा रहा है कि इससे न सिर्फ वाहन उद्योग, बल्कि रियल एस्टेट क्षेत्र की रफ्तार भी कम होगी। आरबीआइ के कर्ज दर बढ़ाने के फैसले को वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी ने सही ठहराते हुए कहा है कि इसकी पहले से ही उम्मीद की जा रही थी। योजना आयोग के उपाध्यक्ष मोंटेक सिंह आहलूवालिया ने भी रिजर्व बैंक के कदम को सही दिशा में उठाया गया कदम बताया। उन्होंने कहा कि इसका असर आर्थिक विकास पर नहीं होगा। हालांकि, केंद्रीय बैंक का मानना है कि आर्थिक विकास दर पर इसका असर अल्पकालिक हो सकता है, लेकिन उसने आठ प्रतिशत के अपने पूर्वानुमान में कोई फेरबदल नहीं किया है।
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