Thursday, June 16, 2011

गेहूं-चावल की बढ़ेगी सरकारी खरीद


खाद्य मंत्रालय ने प्रस्तावित राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा कानून को देखते हुए गेहूं और चावल की खरीद एक करोड़ टन तक और बढ़ाने की योजना बनाई है। प्रस्तावित कानून के तहत 7 करोड़ टन खाद्यान्न की जरूरत होगी। एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि खाद्य मंत्रालय को खाद्यान्नों की सरकारी खरीद बढ़ानी होगी। मौजूदा समय में सरकार करीब छह करोड़ टन गेहूं और चावल खरीदती है। यह खरीद इन दोनों फसलों के देश में कुल उत्पादन का करीब 30 फीसदी है। ऊंचे न्यूनतम समर्थन मूल्य यानी एमएसपी की वजह से सरकारी खरीद बढ़ेगी। सरकार ने बीते हफ्ते ही चालू 2011-12 के खरीफ सत्र के लिए धान के एमएसपी को 80 रुपये बढ़ाकर 1080 रुपये प्रति क्विंटल किया है। खाद्यान्नों की खरीद में वृद्धि के कारण सरकार का खाद्य सब्सिडी बिल भी बढ़कर 1,00,000 करोड़ रुपये हो जाएगा। यह फिलहाल 80,000 करोड़ रुपये है। पिछले वर्ष की फसल में से सरकार ने पिछले सप्ताह तक 5.7 करोड़ टन चावल और गेहूं की खरीद की है। खरीद का सत्र अभी चल रहा है। खाद्य मंत्रालय ने राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा विधेयक के मसौदे को अंतिम रूप दे दिया है। इस प्रस्तावित कानून का मकसद देश की कुल आबादी के 68 प्रतिशत हिस्से को सब्सिडी वाला खाद्यान्न उपलब्ध कराने का कानूनी अधिकार प्रदान करना है। मसौदा विधेयक में हर महीने रियायती दर पर प्राथमिक परिवारों के हर व्यक्ति को सात किलो गेहूं या चावल और आम परिवारों के व्यक्तियों को 3 किलो गेहूं या चावल मुहैया कराने की गारंटी दी गई है। खाद्य मंत्रालय ने प्राथमिक परिवारों के लिए 2 रुपये प्रति किलो की दर से गेहूं और 3 रुपये की दर से चावल उपलब्ध कराने का प्रस्ताव किया है। प्रस्तावित कानून के तहत आम परिवारों को 5.50 रुपये प्रति किलो गेहूं और 7.50 रुपये प्रति किलो की दर से चावल मिलेगा। फिलहाल सरकार 6.52 करोड़ बीपीएल (गरीबी रेखा के नीचे) परिवारों को रियायती दरों 35 किलो खाद्यान्न और 11.5 करोड़ एपीएल (गरीबी रेखा से ऊपर) परिवारों के लिए रियायती दरों पर 15 किलो खाद्यान्न उपलब्ध करा रही है। मसौदा विधेयक में राज्य सरकारों के लिए इस बात को अनिवार्य किया गया है कि वे खाद्यान्नों की आपूर्ति में विफल रहने की स्थिति में लक्षित वर्ग को नकद रूप में खाद्य सुरक्षा भत्ता दें।

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