Wednesday, June 1, 2011

गरीबों को मिलेगा एकमुश्त अनाज


दिल्ली अनाज भंडारण की चुनौती से निपटने के लिए केंद्रीय खाद्य मंत्रालय निजी निवेश बढ़ाने के अलावा कुछ और विकल्पों पर गंभीरता से विचार कर रहा है। इन मसौदों पर राज्यों से विस्तृत सुझाव मांगे गए हैं। पहले प्रस्ताव में हर गांव में गोदाम बनाकर स्थानीय स्तर पर ही खाद्यान्न भंडारण करने का प्रावधान है। वहीं, दूसरे विकल्प में कार्डधारकों को खरीद सीजन में ही एकमुश्त अनाज देने का प्रस्ताव है। इससे अनाज के सड़ने की समस्या खत्म होने के साथ रखरखाव पर आने वाला अतिरिक्त खर्च भी बचेगा। पहले प्रस्ताव के तहत खाद्य मंत्रालय प्रत्येक गांव सभा में किसानों के बनाए लघु अनाज गोदामों को मान्यता देगा। इनमें प्रत्येक की क्षमता 10 टन तक हो सकती है। इसके लिए किसानों को गोदाम के किराए का भुगतान किया जाएगा। इससे कई तरह की बचत होगी। दूसरे प्रस्ताव में खाद्य मंत्रालय इससे भी आगे बढ़कर एक नए विकल्प पर विचार कर रहा है। इसके तहत खरीद सीजन में ही कार्डधारकों को कम से कम छह महीने के राशन का अनाज एकमुश्त उपलब्ध कराया जाएगा। इस प्रस्ताव के क्रियान्वयन में आने वाली दिक्कतों का अध्ययन किया जा रहा है। अभी देश में कुल 24 करोड़ कार्डधारक हैं, जिन्हें सालाना 4.25 करोड़ टन रियायती अनाज की आपूर्ति मासिक आधार पर की जाती है। बांटने से पहले खरीद सीजन में अनाज का भंडारण किया जाता है। अंत्योदय कार्ड धारकों को हर महीने 35 किलो और बीपीएल व अन्य को 15 से 25 किलो अनाज दिया जाता है। छह महीने में लगभग सवा दो करोड़ टन अनाज बांटना पड़ता है। इस व्यवस्था में खाद्यान्न भंडारण पर प्रति टन साढ़े चार हजार रुपये का खर्च आता है। जबकि नए विकल्प को अपनाने की दशा में अनाज के बड़े पैमाने पर भंडारण की समस्या से मुक्ति मिल जाएगी। पूर्व केंद्रीय खाद्य मंत्री शांता कुमार इस विकल्प को अपनाने की बात काफी पहले से उठा रहे हैं। उन्होंने कहा कि नई व्यवस्था से लोगों को एक साथ छह महीने का राशन मिल जाएगा, जिसे वे संभालकर रख सकते हैं। इससे सरकार को भारी बचत भी होगी। कुमार ने यह भी सुझाव दिया है कि भंडारण में होने वाली बचत से गरीबों को अनाज रखने के लिए स्टील का ड्रम वितरित किया जा सकता है। ड्रम की व्यवस्था केवल पहले साल करनी होगी.


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