Monday, November 28, 2011

रिटेल में एफडीआई : 18 करोड़ लोगों की रोजी पर तलवार


देश के मध्यम और छोटे शहरों में रेहड़ी-ठेला लगाने, फल-सब्जी बेचने वाले, छोटे दुकानदार और किसान अपने भविष्य को लेकर काफी चिंतित हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि भारत में खुदरा कारोबार से करीब साढ़े तीन करोड़ लोगों को रोजगार मिला है और अगर एक परिवार में पांच सदस्य को भी आधार माना जाए तो 18 करोड़ लोग इस खुदरा कारोबार पर आधारित हैं। सरकार के लिए इनकी वैकल्पिक व्यवस्था एक बहुत बड़ा सवाल है। यह चिंता सरकार के मल्टी ब्रांड खुदरा क्षेत्र में 51 प्रतिशत प्रत्यक्ष विदेशी निवेश की अनुमति देने को लेकर है। सरकार का हालांकि कहना है कि इससे आपूर्ति बाधाओं को दूर करने, महंगाई पर रोक लगाने और रोजगार बढ़ाने में मदद मिलेगी। सेंटर फार पालिसी अल्टरनेटिव्स (सीपीएएस) के मोहन गुरुस्वामी ने बताया कि सकल घरेलू उत्पाद में योगदान की दृष्टि से सेवा क्षेत्र का सबसे महत्वपूर्ण भाग खुदरा कारोबार है। खुदरा क्षेत्र के दो हिस्से हैं। इसमें एक संगठित क्षेत्र से जुड़ा है, जबकि दूसरा असंगठित क्षेत्र से संबद्ध है। खुदरा क्षेत्र में असंगठित क्षेत्र का हिस्सा 95 प्रतिशत है। उन्होंने कहा कि मल्टी ब्रांड रिटेल सेक्टर में 51 प्रतिशत एफडीआई की अनुमति देने से भारत के खुदरा कारोबार पर वालमार्ट, कारफोर तथा टेसको जैसी वैिक खुदरा कंपनियों का वर्चस्व स्थापित हो जाएगा। इसके कारण अच्छाई कम और नुकसान ज्यादा होगा। गुरुस्वामी ने कहा कि एक अनुमान के अनुसार खुदरा सेक्टर के तहत संगठित क्षेत्र में करीब पांच लाख लोगों को रोजगार प्राप्त हो रहा है, जबकि खुदरा कारोबार में असंगठित क्षेत्र से साढ़े तीन करोड़ लोग अपनी आजीविका चलाते हैं। खुदरा क्षेत्र में वालमार्ट, कारफोर तथा टेसको जैसी वैिक खुदरा कंपनियों के प्रवेश का मार्ग प्रशस्त होने से असंगठित क्षेत्र से जुड़े लोगों के लिए परेशानी खड़ी हो जाएगी। विशेषज्ञों का कहना है कि देश के मध्यम और छोटे शहरों में बड़ी संख्या में ऐसे परिवार हैं जो दुकानों से खाता के आधार पर घरेलू राशन लेते हैं और महीने के अंत में भुगतान करते हैं। कई बार तो दुकानदारों को दो तीन महीने में एक बार भुगतान होता है। ऐसे परिवारों की चिंता है कि क्या वालमार्ट, कारफोर तथा टेसको जैसी कंपनियों के आने से ऐसा संभव होगा। एक सव्रेक्षण में यह बात सामने आई है कि कारपोरेट रिटेल ऐसी पण्राली हैं, जिसके तहत वह अपनी संगठनात्मक क्षमता का उपयोग करते हुए रिटेल कारोबार को एक तरह से हाईजैक कर लेते हैं। सव्रेक्षण में कहा गया कि ब्रिटेन सरकार के प्रतिस्पर्धा आयोग की जांच में सुपर मार्केट के 27 ऐसी कदमों की पहचान की गई जो जनहित के खिलाफ थे। अमेरिका के न्यूयार्क शहर प्राधिकरण
के एक सव्रेक्षण में बड़ी संख्या में लोगों के इलाके में फलों एवं सब्जियों की किल्लत की शिकायत करने के बाद छोटे व्यापारी और रेहड़ी वालों को फल एवं सब्जी बेचने के लिए लाइसेंस जारी करना पड़ा था। इनकी वैकल्पिक व्यवस्था एक बहुत बड़ा सवाल है। देश के ग्यारह राज्यों में सत्तारूढ़ दलों ने बहु-ब्रांड खुदरा क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश की अनुमति देने के केंद्र सरकार के निर्णय का कड़ा विरोध किया है, जहां बहु-ब्रांड खुदरा क्षेत्र में छोटे व्यापारियों का दबदबा है। 2011 की जनगणना के मुताबिक, 11 प्रदेश ऐसे हैं जहां सत्तारूढ़ दल बहु-ब्रांड खुदरा क्षेत्र में एफडीआई का विरोध कर रहे हैं। इन्हीं प्रदेशों में ये 28 शहर स्थित हैं जिनमें बेंगलुरू, कोलकाता, अहमदाबाद, पटना, इलाहाबाद और भोपाल शामिल हैं। ये सभी 10 लाख से अधिक की आबादी वाले शहर हैं। मल्टी ब्रांड रिटेल क्षेत्र में एफडीआई की अनुमति के निर्णय वालमार्ट, कारफोर तथा टेसको जैसी वैिक खुदरा कंपनियों के लिए काफी फायदेमंद है। ये कंपनियां 1.2 अरब की आबादी वाले आकषर्क भारतीय बाजार में खुदरा क्षेत्र को खोले जाने का बेसब्री से इंतजार कर रहे थे। सरकार ने बहु-ब्रांड खुदरा क्षेत्र में 51 प्रतिशत एफडीआई की अनुमति दी और एकल ब्रांड में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश की सीमा समाप्त करने का निर्णय किया। अभी तक केवल एकल ब्रांड में 51 प्रतिशत तथा थोक क्षेत्र में 100 प्रतिशत एफडीआई की अनुमति थी।

No comments:

Post a Comment