Wednesday, November 30, 2011

कहीं विदे शी दुकानों में न खो जाए लाला जी की दुकान


मल्टी ब्रांड रिटेल सेक्टर में एफडीआई को मिली छूट अगर वापस नहीं ली गई तो देश भर में गली- कूचों में चल रही लाला जी की दुकान विदेशी दुकानों में खो जाएगी..बड़े-बड़े विदेशी शाोरूम पर सब कुछ नकद मिलेगा..लाला जी की दुकान पर चलने वाला हमारा- आपका उधार खाता बंद हो जाएगा..रात में अचानक बच्चे के दूध के डिब्बे की जरूरत पड़ जाए या सिर दर्द के लिए एनासिन या नेवलजीन की जरूरत..कुछ नहीं मिलेगा। पान मिलेगा न पान मसाला, सिगरेट-खैनी की तो छोड़ ही दीजिए। जी हां..ये तो एक कल्पना है..जरा सोचिए अगर रिटेल चलेन चलाने वाली बहुराष्ट्रीय कंपनियों को देश में बड़े-बड़े शोरूम खोलने की इजाजत दे दी जाए तो क्या ऐसी स्थिति नहीं पैदा हो जाएगी। सरकार के इस फैसले से गली मोहल्लों में चलने वाली किराना दुकानें बंद हो जाएंगी और आपको इन दुकानों से मिलने वाला उधार नहीं मिलेगा..चौबीसों घंटों मिलने वाली सेवाएं नहीं मिलेंगी। गली के नुक्कड़ पर चलने वाली लाला जी की दुकान बंद हो जाएगी इसलिए अगर रात- बेरात अचानक कोई चीज खरीदने की जरूरत पड़ जाए तो वह भी नहीं मिलेगी। रिटेल एफडीआई के मुद्दे पर सरकार का कहना है कि ‘‘हंगामा है क्यों बरपा..थोड़ी सी जो एफडीआई है’’। ये दीगर बात है कि यह विपक्षी पार्टियों द्वारा एफडीआई के मुद्दे पर शुरू किया गया हंगामा जायज है या नाजायज, लेकिन यह सच यही है कि विदेशी कंपनियों के बड़े-बड़े शोरूम आपकी गली में नहीं बल्कि शहर के पॉश इलाकों में खुलेंगे। ऐसे में गली मुहल्लों में रहने वाली आम जनता की मुश्किलें तो बढ़ेंगी ही, क्योंकि पहली बात तो यह कि बड़े-बड़े शोरूम लाला की दुकान की तरह चौबीसों घंटे सेवाएं नहीं देंगे साथ ही यह शोरूम आम आदमी के घर से इतनी दूर होंगे कि अगर बाइक या कार नहीं है तो रात में वहां पहुंचना मुश्किल होगा। इसके अलावा उन मजदूरों और रिक्शा चालकों का क्या होगा जो दिन भर हाड़ तोड़ मेहनत करने के बाद शाम को दो रुपए का तेल, पांच रुपए का आटा और दो रुपए की सब्जी लेकर रात का खाना बनाते हैं। क्या रिटेल चेन चलाने वाली कंपनियां उन्हें दो रुपए का सरसों का तेल या घी देंगी ? और तो और अगर यह मजदूर और रिक्शा चालक रिटेल चेन चलाने वाली किसी कंपनी के शोरूम पर पहुंचेंगे तो गेट पर तैनात गार्ड ही इनको भगा देगा। इस तरह के एक नहीं अनेकों सवाल हैं जो सरकार की एफडीआई नीति पर प्रश्न चिह्न लगाते हैं इसलिए उम्मीद की जा रही है कि सरकार एफडीआई नीति पर पुन: विचार करेगी।

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